शिव अराधना का महा शिवरात्रि पर्व 21 फरवरी को सुस्थिर व स्वार्थ सिद्धि जैसे शुभ योगों के बीच मनेगा। इन योगों के चलते इस दिन की शुभता में बढ़ोतरी होगी। वहीं श्रद्धालुओं द्वारा की गई साधना-उपासना का उन्हें कई गुना पुण्य फल प्राप्त होगा। शिवालयों में इस दिन भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना, जलाभिषेक व रात्रि जागरण के आयोजन होंगे।
पंडित कृष्ण कुमार शर्मा नावां के अनुसार महाशिवरात्रि पर इस बार 29 साल बाद शश योग रहेगा। इसकी वजह यह है कि शनि 29 साल बाद अपनी राशि मकर में है। इसी तरह गुरु भी अपनी राशि धनु में स्थित है। ऐसी स्थिति और चंद्र से शनि के 1, 4, 7 या 10वें स्थान पर होने पर यह योग निर्मित होता है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व सुस्थिर योग भी रहेंगे। श्रवण नक्षत्र और चतुर्दशी के एक साथ होने पर यह योग बनते हैं। ये दोनों योग भी शुभ माने गए हैं। इस दिन की गई पूजा का विशेष फल मिलता है।शश योग कई जातकों की कुंडली में भी होता है। इस योग वाले जातकों को शिवरात्रि पर शिव की विशेष उपासना का श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। यह योग हंस येग, मालव्य व रुचक योग की भांति उतना ही विशेष होता है। साधना की सिद्धि के लिए दीपावली के बाद महाशिवरात्रि को सिद्धि रात्रि माना गया है। इस बार महा शिवरात्रि पर चंद्र शनि की मकर में युति के साथ पंच महापुरुष योग बन रहा है, इसे शश योग भी कहते हैं। श्रवण नक्षत्र में आने वाली शिवरात्रि और मकर राशि के चंद्रमा का योग बनती है। यह संयोग शनि के मकर राशि में होने से और चंद्र का गोचर क्रम में शनि के अधिपत्य वाली मकर राशि में होने से शश योग का संयोग बन रहा है।
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