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Tuesday, 28 January 2020

पीजीआई में बनेगा प्रदेश का पहला मदर मिल्क बैंक; प्री-मेच्योर शिशुओं को मिलेगा मां का दूध

रोहतक.पीजीआईएमएस में प्रदेश का पहला मदर मिल्क बैंक संचालित करने की फाइल ने एक बार फिर तेजी पकड़ी है। देश के पांच राज्यों में मदर्स मिल्क बैंक का संचालन किया जा रहा है, लेकिन अभी तक हरियाणा में 3 साल के प्रयासाें के बाद भी इसका संचालन नहीं हाे पाया। ऐसे में पीजीआई के न्यूनोटोलॉजी विभाग की टीम ने हेल्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति के समक्ष मदर मिल्क बैंक स्थापित करने का फिर प्रस्ताव रखा है।

प्रस्ताव पर संज्ञान लेते हुए कुलपति डॉ. ओपी कालरा ने टीम से जगह फाइनल कर बताने के आदेश दिए हैं। अभी तक मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक में जगह फाइनल करने पर सहमति बनने के साथ वर्ष 2020 में मदर मिल्क बैंक का संचालन शुरू होने का दावा किया गया है। चिकित्सक बताते हैं कि मदर मिल्क बैंक के जरिए ढाई किलो से कम वजन के शिशुओं को मां का दूध उपलब्ध होगा।

चार कमरों में संचालित होने वाले मिल्क बैंक में आधुनिक मशीनों का सेटअप लगाया जाएगा। नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से प्रोजेक्ट के तहत फंड उपलब्ध कराया जाएगा। मिल्क बैंक का संचालन करने के लिए मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विशेषज्ञ, माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी व शिशु रोग विशेषज्ञ सहित टेक्नीशियन और नर्सों को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी।

बैंक में छह माह तक सुरक्षित रखा जा सकेगा दूध

चाइल्ड स्पेशलिस्ट चिकित्सक ने बताया कि पीजीआई में स्थापित होने वाला मदर मिल्क बैंक 24 घंटे संचालित होगा। यहां पर कोई भी महिला आकर अपना दूध बैंक में दान कर सकेगी। दूध लेने के लिए यहां आधुनिक मशीन होंगी। उन्होंने बताया कि सबसे पहले मदर मिल्क बैंक में दूध डोनेट करने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य की पूरी जांच की जाएगी। इस जांच में यह पता लगाया जाता है कि कहीं संबंधित महिला को कोई बीमारी तो नहीं है। इसके बाद दूध को माइनस 20 डिग्री पर रखा जाता है, जिससे यह दूध करीब छह माह तक खराब नहीं होता है।

क्यों जरूरी है शिशु के लिए मां का दूध?

मां का दूध एक संपूर्ण आहार है जिसमें बच्चे की जरूरत के सभी पोषक तत्‍व उचित मात्रा में पाए जाते हैं। इन्हें शिशु आसानी से हजम कर लेता है। मां के दूध में मौजूद प्रोटीन और फैट गाय के दूध की तुलना में भी अधिक आसानी से पच जाते हैं। इससे शिशु के पेट में गैस, कब्ज, दस्त आदि की समस्या नहीं होती है और बच्चे की दूध उलटने की संभावना भी बहुत कम होती है। मिल्क बैंक में जमा दूध के इस्तेमाल से प्री-मैच्योर बच्चों को डायरिया और बुखार से बचाया जा सकेगा। कई बच्चों में जन्म के समय से ही आंत कमजोर होती है, वे मां का दूध नहीं पचा पाते हैं, ऐसे बच्चों को भी मिल्क बैंक का दूध देंगे।

प्री-मेच्योर शिशुओं के लिए स्थापित होगा मिल्क बैंक



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प्रतीकात्मक फोटो।


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