चौ.बंसीलाल नागरिक अस्पताल स्थित 47 साल पुराने नर्सिंग हॉस्टल के जर्जर भवन की छत का पलस्तर गिरने से दो छात्राएं घायल हो गई। पिछले एक सप्ताह में चार बार छत व दीवारों का पलस्तर गिर चुका है। जिसके विरोध में बुधवार को नर्सिंग छात्राओं ने शहर में प्रदर्शन किया और डीसी को ज्ञापन सौंपा। इसके अलावा छात्राएं व स्टॉफ सदस्य सीएमओ से भी मिले लेकिन समस्या का कोई का ठोस आश्वासन नहीं मिला। इसके कारण हॉस्टल में रहने वाली 120 छात्राओं की जान खतरे में है।
सिविल अस्पताल में स्थित 47 साल पुराने नर्सिंग हॉस्टल की बिल्डिंग जर्जर हालत में है और अभी तक बिल्डिंग को न तो डैमेज घोषित किया गया हैं और न ही मरम्मत करवाई जा रही है। जर्जर बिल्डिंग से आए दिन पलस्तर गिर रहा हैं, जिससे छात्राओं की जान खतरे में है।
विभाग छात्राओं को किसी अन्य भवन में भी शिफ्ट नहीं कर रहा हैं। इसके कारण छात्राओं को जान खतरे में डालकर जर्जर भवन में ही रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। पिछले एक सप्ताह में चार बार कमरों में पलस्तर गिर चुका है। मंगलवार शाम को भी रूम नंबर 12 में छत्त का पलस्तर गिरा। जिसके कारण एएनएम छात्रा मंजू व कविता के हाथ व पैर पर चोट आई। गनीमत रही की पलस्तर सिर पर नहीं गिरा अन्यथा बड़ा हादसा भी हो सकता था।
500 बिस्तर का अस्पताल था, अब 300 की क्षमता
भिवानी सिविल अस्पताल की स्थापना वर्ष 1972 में की गई थी। 500 बिस्तर का सिविल अस्पताल देश ही नहीं, पूरे एशिया में उस समय किसी जिला मुख्यालय पर बना पहला इतना बड़ा अस्पताल था। फिलहाल यहां 300 बिस्तर की ही क्षमता है। रिपेयर के अभाव में अस्पताल के वार्ड व नर्सिंग हॉस्टल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। इसलिए सिविल अस्पताल प्रशासन ने दोनों भवनों की रेनोवेशन करवाने के लिए एस्टीमेट चंडीगढ़ भेजा था। एक साल बाद एस्टीमेट मंजूर होकर स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंचा। वर्ष 2019 में नर्सिंग हॉस्टल व साथ लगती वार्डों की छह मंजिला जर्जर बिल्डिंगों की रेनोवेशन के लिए 4 करोड़ छह लाख की राशि मंजूर हुई थी लेकिन दोनों छह मंजिला भवनों की रेनोवेशन का कार्य शुरू नहीं हो पाया।
नहीं हुआ है डैमेज घोषित
चार दिन पहले उन्होंने हॉस्टल बिल्डिंग का निरीक्षण किया था। बिल्डिंग जर्जर हालत में है। बिल्डिंग को अभी डैमेज घोषित नहीं किया गया है। इस संबंध में बीएंडआर विभाग को पत्र लिखा गया है। बीएंडआर विभाग के अधिकारी निरीक्षण करेंगे। इसके बाद भी स्पष्ट हो पाएगा कि बिल्डिंग रेनोवेशन के लायक है या नहीं है। अगर बिल्डिंग रेनोवेशन के लायक नहीं मिली तो डैमेज घोषित होने के बाद ही नई बिल्डिंग का निर्माण हो सकता है।\'\' -डॉ. मंजू कादियान, पीएमओ।
इनकी जान को है खतरा
जर्जर छह मंजिला भवनों के कमरे में दीवारों, छत्त व पिलरों का प्लास्तर आए दिन गिर रहा है। जर्जर वार्ड भवन व हॉस्टल भवन में लगभग 150 मरीज व 120 नर्सिंग छात्राओं के साथ ड्यूटी स्टाफ की जान भी हर समय खतरे में रहती है। नर्सिंग हॉस्टल भवन में बिजली फिटिंग व वाटर फिटिंग भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। एएनएम व जीएनएम की छात्राएं 10 बार धरने व प्रदर्शन कर चुकी है लेकिन जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग इस तरह कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
इसलिए नहीं हो पाई रेनोवेशन: पिछले वर्ष दोनों जर्जर बिल्डिंग की रेनोवेशन के लिए चार करोड़ छह लाख की राशि मंजूर हुई थी लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते टेंडर नहीं लगाया गया। हालांकि तात्कालीन सीएमओ व पीएमओ नर्सिंग छात्राओं को आश्वासन देते रहे कि जल्द कार्य शुरू होगा। दिसंबर महीने में भी सीएमओ की तरफ से आश्वासन दिया गया था फरवरी में मरम्मत का कार्य शुरू हो जाएगा लेकिन कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ।
भिवानी. चौ.बंसीलाल नागरिक अस्पताल स्थित नर्सिंग छात्रावास में गिरा मलबा।
नर्सिंग छात्रावास की जर्जर हालात को लेकर शहर में रोष जताती नर्सिंग छात्राएं।
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