34 तारीखों पर निगम कहता रहा- स्ट्रे डॉग के लिए चिट्ठी लिखकर बजट मांगा है, कोर्ट में चीफ सेक्रेटरी के प्रतिनिधि ने कहा ऐसा कोई पत्र नहीं मिला
शहर को स्ट्रे डॉग से मुक्ति दिलाने के मकसद से 19 नवंबर 2015 से कोर्ट में विचाराधीन केस की 34 तारीखों पर निगम की तरफ से पेश हुए लोग बजट नहीं होने की बात कहते रहे। इन तारीखों पर काेर्ट को बताया गया कि सरकार से 1.70 करोड़ रुपए का बजट मांगा हुआ है और कई पत्र लिख चुके हैं व रिमाइंडर भी भेजे हैं। इस मामले में चीफ सेक्रेटरी को भेजे गए समन के बाद मंगलवार को जब उनके प्रतिनिधि एवं कार्यालय अधीक्षक सूबे सिंह निगम कमिश्नर के साथ कोर्ट में पहुंचे तो उन्होंने साफ किया कि ऐसा कोई पत्र कभी मिला ही नहीं। साथ ही स्पष्ट किया कि स्ट्रे डॉग की नसबंदी को लेकर सरकार ने न तो कभी नोटिफिकेशन जारी की है और न ही कोई पॉलिसी है। इस मामले में पैरवीकार अधिवक्ता गौरव राजपूत ने जिन पांच बिंदुओं पर समन भेज रिकार्ड मांगा था, उनमें से एक में स्ट्रे डॉग को लेकर सरकार की नीति पर भी जवाब मांगा गया था।
सीजेएम विवेक यादव की कोर्ट में पेश हुए चीफ सेक्रेटरी के प्रतिनिधि सूबे सिंह से पैरवीकार अधिवक्ता ने स्ट्रे डॉग से हुई मौत व घायलों के रिकार्ड की सर्टिफाई कॉपी भी मांगी थी। इस पर सूबे सिंह ने बताया कि चीफ सेक्रेटरी कार्यालय में ऐसा कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। अम्बाला में कुत्तों की संख्या के सवाल पर भी उन्होंने कहा कि इसका कोई रिकार्ड नहीं है और न ही समस्या के बारे में जानकारी है। इसके बाद अधिवक्ता गौरव ने सीजेएम से निदेशक पशुपालन विभाग व शहरी स्थानीय निकाय को समन करने की अपील की, ताकि शेष जानकारी मिल सके। सीजेएम ने इस मामले की अगली तारीख 6 जनवरी लगाते हुए संबंधित को समन जारी किए हैं।
1.70 करोड़ का बजट नहीं मिला तो सस्ते इंजेक्शन का रास्ता भी सुझाया: स्ट्रे डॉग की समस्या कई सालों से गंभीर बनी हुई है। अधिवक्ता गौरव के मुताबिक उन्होंने इस मामले में 25 मई 2015 को सीएम विंडो का दरवाजा खटखटाया। निगम ने 20 अगस्त 2015 को शहरी एवं स्थानीय निकाय से बजट मांगा। 19 नवंबर 2015 को यह मामला सिविल कोर्ट में पहुंचा। निगम के सेनेटरी इंस्पेक्टर फूल कुमार ने पेश हाेकर उन चिट्ठियां व रिमाइंडर का हवाला दिया जो ईओ ने 1.70 करोड़ का बजट मांगते हुए शहरी एवं स्थानीय निकाय विभाग को लिखी। वहीं, जब अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष निगम को स्ट्रे डॉग के स्ट्रेलाइजेशन के लिए विदेश में जारी हुए एक सस्ते इंजेक्शन ज्यूटेरियन का हवाला दिया। इस पर निगम ने कहा कि यह अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है।
सिटी में काेर्ट के बाहर खड़े निगम कमिश्नर वकील से बातचीत करते हुए।
डेढ़ साल में लग चुके हैं 70 हजार इंजेक्शन
अम्बाला शहर के ही रोजाना आठ से दस लोग स्ट्रे डॉग का शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा दर्जनों लोग वे पहुंचते हैं जिनको पहले कुत्ते ने काटा था। हालात यह हैं कि इंजेक्शन का पूरे जिले में अकाल पड़ा हुआ है। करीब डेढ़ साल में ऐसे 70 हजार इंजेक्शन अकेले जिला नागरिक अस्पताल व ट्रॉमा सेंटर में लगाए जा चुके हैं। एंटी रेबीज वेक्सीनेशन का एक इंजेक्शन स्वास्थ्य विभाग को 300 रुपए में पड़ता है जो पीड़ित को 100 रुपए में लगाया जाता है। करीब डेढ़ साल में स्वास्थ्य विभाग ने 21 लाख रुपए खर्च कर दिए हैं। सिविल कोर्ट के अलावा करीब सवा साल से एक मामला स्ट्रे एनिमल को लेकर पब्लिक यूटिलिटी कोर्ट में है।
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Tuesday 15 October 2019
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