
एडीसी बुधवार को डीआरडीए सभागार में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण अंचल में कार्यरत बैंक प्रतिनिधियों की एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य हैं कि गरीब महिलाओं को जीवन उत्थान कर उनको समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए और इसी के चलते गरीब एवं जरूरतमंद महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता की महिलाएं ऋण की मदद से अपना मनियारी, किरयाणा, ब्यूटी पार्लर, कपड़े के थैले बनाने सहित अन्य छोटे-छोटे काम कर अपना गुजर बसर करती हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश समूह को एक से तीन लाख रुपये के ऋण प्रदान किए जाते हैं। उन्होंने बैंक अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे उनके पास आने वाले स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता से ऋण प्रदान करें ताकि वे समय पर अपना काम शुरू कर सकें। उन्होंने बताया कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा ऋण की अदायगी भी समय पर की जाती है। ऐसे कोई समूह नहीं हैं, जो समय पर अपनी किश्त जमा नहीं करवाते हों या किसी के ऋण को हजम करने की मंशा हो।
उन्होंने कहा कि वे चाहें कि स्वयं सहायता समूहों के कार्य के रिकार्ड को भी चैक कर सकते हैं, लेकिन उन्हें ऋण देने से किसी भी सूरत में मना न करें। उन्होंने कहा कि गरीब एवं जरूरतमंद के प्रति सकारात्मक सोच व नजरिया होना चाहिए।
डीआरडीए सभागार में बैंक प्रतिनिधियों की एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते एडीसी डॉ. मनोज कुमार।
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