
राजनीति संपदा को सुरक्षित रखने के लिए राजा को सद्गुणों की जरूरत है। यूं राजनीति शब्द बुरा नहीं, इसे एक शास्त्र ही माना गया था, किंतु पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में छीनाझपटी, इर्ष्या, द्वेष का वातावरण बना है और मानवता भी संकुचित हुई है। ये उदगार स्वामी दिव्यानंद भिक्षु महाराज ने व्यक्त किए। वह रामपुरा माेहल्ला स्थित श्रीकाली माता मंदिर 17वें प्राकट्य महोत्सव पर आयोजित हनुमान कथा का शुभारंभ करते हुए बाेल रहे थे। उन्हाेंने कहा कि आज जिस ढंग से मानवीय मूल्यों का पतन हो रहा है, आवश्यकता है ऐसे सत्संग की, जिसमें वेद, शास्त्र, गीता और रामायण जैसे ग्रंथों द्वारा सद्गुणों को समाज में कैसे प्रतिष्ठित किया जाए। इनका केवल विचार ही नहीं अपितु जनमानस में प्रतिष्ठा कैसे हो, यह चिंतन बलपूर्वक किया जाए।
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