चंडीगढ़.हरियाणा पुलिस ने साइबर क्राइम के बढ़ते खतरे के मद्देजनर एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत प्रदेश के नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे अज्ञात व्यक्तियों से प्राप्त क्विक रिस्पोंस (क्यूआर) कोड की स्कैनिंग करते समय विशेष सतर्कता बरतते हुए इससेे बचें, क्योंकि यह कोड उनके बैंक खातों की जानकारी लेकर ठगी कर सकते हैं।
एडीजीपी लॉ एंड आर्डर नवदीप सिंह विर्क ने ऐसे साइबर स्कैमर्स से सावधान रहने की सलाह देते हुए गुरुवार को बताया कि साइबर अपराधी अब ईमेल, वाट्सएप जैसे माध्यम से क्यूआर कोड भेजकर लोगों के बैंक खातों को हैक कर ठगी करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज के युग में स्मार्ट फोन के बढ़ते उपयोग और मोबाइल ऐप व इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से भुगतान के नए तरीकों से साइबर धोखाधड़ी बढ़ी है। ऐसे जालसाजों से बचने के लिए ऑनलाइन भुगतान के हर विवरण पर पूरा ध्यान देना चाहिए। उन्होने नागरिकों से किसी तरह के प्रलोभन या बहकावे में न आने का भी आग्रह किया।
साइबर थानों मेंनेटवर्क होगा मजबूत
हरियाणा पुलिस ने साइबर थानों के अपने नेटवर्क को मजबूत करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। वर्तमान में, गुड़गांव और पंचकूला में साइबर पुलिस स्टेशन काम कर रहे हैं। राज्य में साइबर जालसाजों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए जल्द ही साइबर पुलिस स्टेशनों के नेटवर्क को अपग्रेड किया जाएगा।
संदिग्ध पतों से आई ईमेल, वाट्सएप और टेक्स्ट संदेशों का नहीं देना चाहिए जवाब
साइबर अपराध के तरीके बारे बताते हुए उन्होंने कहा कि सबसे पहले, ये स्कैमर्स सेकंड हैंड सामान के लिए खरीददार या विक्रेता बनकर लोगों को भुगतान में आसानी के लिए एक क्यूआर कोड भेजकर स्कैन करने के लिए कहते हैं। जैसे ही रिसीवर्स कोड स्कैन करते हैं, उनके खाते से पैसे कट जाते हैं। दुकानदारों को भी थोक ऑर्डर की पेशकश के साथ लालच दिया जाता है और बाद में भुगतान प्राप्त करने के लिए क्यूआर कोड भेजकर धोखा दिया जाता है।
बाद में आरोपी सामान भी वितरित नहीं करते।उन्होंने यूपीआई या अन्य वॉलेट्स द्वारा ऑनलाइन भुगतान करने के लिए एहतियाती उपाय सुझाते हुए कहा कि क्यूआर कोड धन प्राप्ति की बजाय केवल भुगतान के लिए प्रयोग होता है। नागरिकों को अज्ञात व्यक्तियों द्वारा भेजे गए क्यूआर कोड की स्कैनिंग से बचना चाहिए और संदिग्ध पतों से आई ईमेल, वाट्सएप व टेक्स्ट संदेशों का जवाब नहीं देना चाहिए। सतर्कता के साथ, हर व्यक्ति साइबर अपराध को रोककर निर्दोष लोगों को इसका शिकार बनने से रोकने में मदद कर सकता है।
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