
अहमदाबाद/नई दिल्ली .सुप्रीम काेर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने लाेकतंत्र में विराेध काे “सेफ्टी वाल्व’ करार दिया है। उन्हाेंने कहा है कि असहमति काे राष्ट्रविराेधी या लाेकतंत्र विराेधी करार देना संवैधानिक मूल्याें काे बचाने और लाेकतंत्र के विस्तार की देश की प्रतिबद्धता पर चाेट है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने शनिवार काे व्याख्यान में कहा कि असहमति काे दबाने में सरकारी तंत्र के इस्तेमाल का डर बरकरार है, जाे कानून के शासन का उल्लंघन करता है। उन्हाेंने कहा कि लाेकतंत्र में चुनी हुई सरकार मूल्याें पर एकाधिकार का दावा नहीं कर सकती है।
लाेकतंत्र में सरकार हमें विकास अाैर सामाजिक समन्वय बनाने में मदद करती है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सवाल करने और असहमति के वजूद काे खत्म करने से राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास का अाधार ही ढह जाता है। इस मायने में असहमति का अधिकार लाेकतंत्र में सेफ्टी वाल्व का काम करता है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी एेसे समय की है, जब देशभर में सीएए, एनपीआर और एनआरसी के विराेध में प्रदर्शन हाे रहे हैं।
भारत तदर्थ से संस्थागत मध्यस्थता की ओर रुख करे: जस्टिस मल्होत्रा
सुप्रीम काेर्ट की जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने देश की मध्यस्थता प्रक्रिया को दुरुस्त करने की जरूरत बताई है। उन्हाेंने कहा है कि भारत को तदर्थ मध्यस्थता से संस्थागत मध्यस्थता काे अपनाना चाहिए। नानी पालकीवाला आर्बिट्रेशन सेंटर की अाेर से आयोजित 12वें सालाना अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि देश में मध्यस्थता प्रक्रिया को दुरुस्त करने की जरूरत है, ताकि न्यायिक समीक्षा की रूप-रेखा को व्यापक किए बिना आंतरिक अपील के अधिकार को सुनिश्चित किया जा सके।
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