
महामारी से बिगड़े हालात में भी श्री पंजाबी रामलीला क्लब दशहरे पर श्री हनुमान जी का स्वरूप (मुकुट) बनने की 82 साल पुरानी परंपरा नहीं टूटने देगा। यह दीगर है कि 40 दिन की बजाय इस बार महावीर भक्तों का साधना काल मात्र 21 दिवस का होगा। लेकिन पुरखों को दिया हुआ वचन निभाने के लिए रीति सारी निभाई जाएगी। मसलन मुकुट धारण करने वाले सभी साधक रामलीला क्लब परिसर में ही निवास करेंगे। सभी कोविड-19 की गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए सुबह-शाम पूजा-पाठ, आराधना-आरती का नित्य नियम निभाएंगे।
पाकिस्तान के मुल्तान की सदियों पुरानी परंपरा देश बंटवारे के समय सैकड़ों मील दूर वहां से विस्थापित हुए परिवारों के साथ भारत आई। पलायन के दौरान दिवंगत ओम प्रकाश गुलाटी अपने साथ मुकुट को लेकर बेरी पहुंचे। जहां पर उसी वर्ष से विजय दशमी पर अकेले मुकुट धारण कर उन्होंने बुजुर्गों की अटूट प्रथा को कायम रखा। रोजगार की तलाश में उनका परिवार रोहतक आकर बस गया। फिर भी वे 34 वर्ष तक दशहरे पर बैंड, ढोल, प्रसाद लेकर श्री हनुमान जी का स्वरूप बनने के लिए रोहतक से बेरी जाते रहे।
1991 में पहली बार रोहतक लाकर की थी मुकुट पूजा
ओमप्रकाश गुलाटी के बेटे व श्री सनातन धर्म पंजाबी रामलीला क्लब के वाइस प्रेसीडेंट अशोक गुलाटी बताते हैं कि वर्ष 1991 में अपने पिता के निर्देश पर वे सोनीपत के महावीर दल मंदिर भगत आशानंद के पास गए। वहां पूजा पाठ कर एक मुकुट लेकर रोहतक आए और 40 दिन की साधना करते हुए दशहरे पर श्री हनुमान जी का स्वरूप धारण किया। एक से बढ़कर अब मुकुट धारण करने वाले भक्तों की संख्या 12 पहुंच गई।
घर से दूर ऐसे चलता है साधना काल
मुकुट धारण करने वालों को महावीर जी बुलाते हैं। सभी महावीर प्रताप चौक स्थित क्लब परिसर में एकत्रित होते हैं। यहीं रहकर व्रत, व्यायाम, ध्यान, पूजा और रिहर्सल करना होता है। एक समय मीठा भोजन और दूसरे समय फल-दूध ही आहार बनता है। साधना के समय नमक का परहेज है। अशोक गुलाटी, क्लब के डायरेक्टर सुरेंद्र नरूला, मदन जुनेजा, प्रवीन जेटली, राजू गुलाटी व मन्नी नरूला की टीम की ही देखरेख में साधना संपन्न होती है।
साधना काल छोटा होने से 4 से शुरू होगी व्रत-पूजा
अशोक गुलाटी ने बताया कि साधना काल छोटा किए जाने से इस बार 4 अक्तूबर से सभी महावीर का व्रत-पूजा शुरू होगी। क्लब परिसर में ही राम दरबार सजाकर वे स्वयं विराजमान रहेंगे। हालांकि कोरोना को देखते हुए कम साधकों को मुकुट धारण करने का आह्वान किया जाएगा।
पानीपत में 25 हजार से सवा लाख तक में बनते हैं मुकुट
फिलहाल रोहतक, बेरी, सोनीपत, पानीपत और सूरत में भी मुकुट धारण की परंपरा रामलीला में होती है। पानीपत में कारीगरी के हिसाब से मुकुट 25 हजार से सवा लाख रुपए तक बनने लगे हैं।
श्रीराम पालकी के आगे उल्लास में चलते हैं मुकुटधारी महावीर
दशहरे पर सजी श्रीराम पालकी के आगे आगे मुकुटधारी सभी महावीर उल्लास में छलांगें लगाते हुए चलते हैं। ढोल की थाप व बैंड की मोहक धुन पर जय हो महावीर तेरी, जय हो रघुवीर तेरी- के जयकारों से वातावरण गूंज उठता है। दशहरा के अगले दिन श्री राम दरबार में प्रसाद, दान दक्षिणा के बाद महावीर का व्रत संपन्न होता है।
मुकुट धारण की श्रृंखला को इन्होंने आगे बढ़ाया
अशोक गुलाटी, बलदेव शर्मा, रजा कुमार कथूरिया, अंशू गुलाटी, पुलकित शर्मा, राहुल, रिक्की आहूजा, सन्नी, पारस खेड़ा, चिराग जुनेजा अब तक श्री हनुमान जी का स्वरूप धारण कर चुके हैं। जबकि विक्की, कर्ण नरूला, वैभव, गौरव कपूर आठ से दस बार तक मुकुट साधना कर चुके हैं।
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