
प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी विजय वर्धन ने उपायुक्तों को प्रदेश में पराली जलाने के जीरो बर्निंग के लक्ष्य को प्राप्त करने, इन-सीटू व एक्स-सीटू प्रबंधन और छोटे एवं सीमांत किसानों को प्राथमिकता आधार पर फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण मुहैया करवाने के निर्देश दिए। फसल अवशेष प्रबंधन के तहत रेड जोन में आने वाली पंचायतों को अच्छा प्रदर्शन करने पर राज्य स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा, जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली पंचायत को 10 लाख रुपए, द्वितीय को 5 लाख एवं तृतीय को 3 लाख रुपए ईनाम स्वरूप दिए जाएंगे।
वे बुधवार को फसल अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए उपायुक्तों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक कर रहे थे। उन्होंने सभी डीसी को निर्देेश दिए कि जिलों में फसल अवशेष प्रबंधन की मशीनरी की आपूर्ति, कस्टम हायरिंग केंद्रों व किसानों विशेषकर छोटे एवं सीमांत किसानों को 70 प्रतिशत मशीनरी का आवंटन सुनिश्चित करें। साथ ही, इन मशीनों का अधिक से अधिक उपयोग भी सुनिश्चित करें। इसके अलावा, बेल्स की खपत के लिए औद्योगिक इकाईयों तथा गोशालाओं के साथ संपर्क स्थापित किया जाए। उन्होंने उपायुक्तों को इन सभी गतिविधियों की रिपोर्ट 3 दिनों के अंदर मुख्यालय भेजने के भी निर्देश दिए।
निगरानी व नियंत्रण के लिए प्रणाली की गई है तैयार
मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव वी. उमाशंकर ने बताया कि फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखने और नियंत्रण के लिए एक ऐसी प्रणाली विकसित की गई है, जिसके तहत सैटेलाइट इमेज के आधार पर 100 से 115 मीटर के दायरे में पराली जलने की घटना का एक एसएमएस दिन में दो बार सरपंचों, ग्राम सचिव, उप निदेशक, कृषि विभाग, तहसीलदार और उपायुक्तों को भेजा जाएगा, ताकि वह मौके पर जाकर स्थिति का जायजा ले सकें और आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा सके। उन्होंने बताया कि भविष्य में सैटेलाइट इमेज का ईओ इमेज के साथ मिलान किया जाएगा ताकि ऐसे घटनाओं पर और कड़ी निगरानी रखी जा सके।
ऑनलाइन सिस्टम हो रहा है तैयार
कृषि एवं किसान कल्याण वभिाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह ने बताया कि सीएचसी और किसानों को मशीनें वितरित कर दी गई हैं। लाल व पीले जोन में आने वाले गांवों में कस्टमर हायरिंग सेंटर व किसानों से आवेदन करवाए गए हैं। छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता के आधार पर पंचायती स्तर पर स्थापित 851 कस्टम हायरिंग केंद्रों में दिए जाने वाले उपकरण व फसल अवशेषों के भंडारण पंचायत भूमि पर सुनिश्चित किया जा रहा है।
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