हरियाणा पुलिस में नौकरी लगने के डेढ़ साल बाद ही गुरुग्राम में नाके पर ड्यूटी के दौरान मुठभेड़ में बली कुतुबपर के कांस्टेबल रणबीर सिंह की मौत हो गई थी। परिजनों के संघर्षों की बदौलत करीब 20 साल के बाद जवान रणबीर सिंह को शहीद का दर्जा मिला है। मंगलवार को सोनीपत से वेलफेयर विभाग से इंस्पेक्टर पुनम व गन्नौर शहर थाना प्रभारी वजीर सिंह पहुंचे। उन्होंने जवान रणबीर की फोटो को शहीद के परिजनों व ग्रामीणों की मौजूदगी में स्कूल में लगवाया। इस अवसर पर सरपंच पति देवेंद्र सरोहा, शहीद की पत्नी सुनीता देवी, जितेंद्र, सतबीर, मेहर सिंह, सतीश कुमार, सुल्तान सरोहा, प्रेम सरोहा, महेंद्र, नफेसिंह नंबरदार आदि मौजूद रहे।
अधिकारियों से लेकर कोर्ट तक का सफर
मबुधन से ट्रेनिंग खत्म करने के बाद पुलिस जवान रणबीर सिंह की गुड़गांव में सेक्टर 8-9 पर लगे नाके पर तैनात थे। शाम के समय ड्यूटी पर मुठभेड़ होने पर उनकी गोली लगने से मौत हो गई थी। पूर्व डीजीपी राठौर ने उन्हें शहीद का दर्जा दे दिया था, लेकिन 4 दिन बाद ही किसी मामले में राठौर जेल में चले गए थे। उसके बाद पूर्व डीजीपी महेंद्र सिंह मलिक ने मामले को फाइल में मर्डर घोषित कर दिया था। इस बारे में लगातार जितने भी डीजीपी आए, उनसे लगातार मिलते रहे।
मामले में दोबारा से जांच होने पर पुलिस ने मुठभेड़ करने वाले बदमाशों को पकड़ा और उनके बयान देने के बाद ही रणबीर सिंह को शहीद घोषित किए। बताया कि पिता को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए उसने 2014 में कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। जोकि दो साल के बाद ही उसने केस उठा लिया था। क्योंकि पुलिस विभाग ने शहीद के 5 लाख रुपए खाते में डाल दिए थे। 2018 में चाणक्य पुरी में शहीद स्मारक पर सीएम मनोहरलाल खट्टर ने शहीद परिवार को सम्मानित किया था।
अब सीएम ने शहीद परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी देने की बात कही है। मंगलवार को पुलिस प्रशासन ने जवान रणबीर सिंह का शहीद का दर्जा देने के साथ परिवार को सम्मानित किया। आश्वासन दिया कि गांव में प्रतिमा बनवाई जाएगी। -जैसा कि पुलिस जवान रणबीर सिंह के बेटे जितेंद्र ने बताया।
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