
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को लेकर माजरा गांव की जमीन खरीदने के लिए रेट पर मंत्रणा जारी है। मंगलवार को इस बारे में डीसी यशेन्द्र सिंह ने जिला सचिवालय में माजरा के ग्रामीणों के साथ बैठक भी की।
डीसी ने ग्रामीणों से जमीन की कीमत पर विचार विमर्श किया। माजरा के लोगों ने कहा कि वे एम्स के लिए अपनी जमीन देने को तैयार हैं, मगर सरकार उन्हें कम से कम 50 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दे। इस पर डीसी ने कहा कि एक बार फिर से इस पर विचार कर लें, ताकि यह प्रोजेक्ट बन जाए। लेकिन ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया कि वे 50 लाख रुपए प्रति एकड़ से कम में जमीन नहीं देंगे।
जमीन खरीदकर एम्स का किया था वादा
बता दें कि मनेठी में एम्स बनाने के लिए दी गई जमीन पर केंद्र सरकार की वन सलाहकार समिति ने अरावली का हिस्सा बताते हुए आपत्ति लगा दी थी। इसके बाद सीएम मनोहर लाल ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि जो भू मालिक अपनी जमीन एम्स के लिए देने को तैयार है तो अपनी मर्जी से ई-भूमि पोर्टल पर इसकी डिटेल अपलोड करे।
सरकार यह जमीन खरीदकर एम्स का निर्माण कराएगी। मनेठी के ग्रामीण इतनी जमीन देने को राजी नहीं हुए, मगर माजरा के ग्रामीणों ने 200 एकड़ से ज्यादा जमीन पोर्टल पर अपलोड की। अब सरकार इस जमीन को खरीदने के लिए मुआवजा तय करने की प्रक्रिया में है।
1 अक्टूबर को केन्द्रीय टीम ने भी एम्स निर्माण के लिए माजरा भालखी गांव की जमीन का अवलोकन किया था। बैठक में एसडीएम रेवाड़ी रविन्द्र यादव, एसडीएम कोसली एवं डीडीपीओ कुशल कटारिया के अतिरिक्त माजरा गांव के यशु प्रधान, देशराज सरपंच, जितेन्द्र यादव, रोहताश पंच, मंजीत ठेकेदार, राजबीर, विकास, ताराचंद सहित अन्य ग्रामीण भी उपस्थित रहे।
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