
विधायक लीलाराम की सिफारिश पर आउटसोर्सिंग में भ्रष्टाचार व नशे में रहने के आरोपों के बाद बिना जांच के ही सिविल सर्जन डाॅ. जयभगवान जाटान को सस्पेंड करने के मामले में शुक्रवार को नया मोड़ आ गया। भ्रष्टाचार व नशे में रहने के आरोपों की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के तीन डायरेक्टर्स डाॅ. वंदना गुप्ता, डाॅ. बीके राजौरा व डाॅ. अश्रुदीन की टीम कैथल पहुंची।
विधायक ने जो चिट्ठी लिखी थी, उसमें गुहला पीएचसी में समाना पंजाब के तीन कर्मचारियों को रुपए लेकर आउटसोर्सिंग पर भर्ती करने के आरोप थे। टीम पहले सुबह 10 बजे गुहला पहुंची। इसके बाद टीम कैथल सिविल सर्जन कार्यालय पहुंची। टीम ने दोनों जगह करीब साढ़े तीन घंटे तक आउटसोर्सिंग पर भर्ती किए गए व अस्पताल के स्टाफ सदस्यों से पूछताछ कर सबूत जुटाए। टीम ने सवाल-जवाब व रिपोर्ट का खुलासा करने से मना कर दिया।
गौरतलब है कि हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के सिविल सर्जन के पक्ष में उतरने व पीएनडीटी रेड के दौरान विधायक द्वारा आरोपी डाॅक्टर को बचाने के लिए किए फोन की ऑडियो वायरल हो गई थी। इससे विधायक बैकफुट पर आ गए थे।
एसोसिएशन के बढ़ते दबाव के चलते सिविल सर्जन के बहाली के आदेश का इंतजार था, लेकिन विभाग की टीम ने जांच के लिए पहुंचकर चौंका दिया है। एचसीएमएसए के राज्य प्रधान डाॅ. जसबीर परमार ने कहा कि सिविल सर्जन पर लगाए सभी आरोप झूठे व बेबुनियाद हैं। 15 अक्टूबर तक बहाल न करने पर प्रदेश में हड़ताल की चेतावनी दी थी। स्वास्थ्य मंत्री ने मंगलवार तक बहाली का आश्वासन दिया है।
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