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Monday, 5 October 2020

नप प्रधान पद के चुनाव पर स्टे मामले में बलजीत कौर ने मांगी याचिका वापस, 8 अक्टूबर को फिर होगी सुनवाई

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में सोमवार को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई पेशी में हैरान करने वाला मोड़ आ गया। अब याचिका लगाने वाली बलजीत कौर ने खुद याचिका वापस करने की मांग की है। वह अपने वकील के साथ पेश हुई थी। इसका सरकार की ओर पेश हुए एडवोकेट जरनल ने सीधा विरोध किया और कहा कि बलजीत कौर कि ओर से कानून का दुरुपयोग किया गया है और इसकी जांच होनी चाहिए।

इससे अब स्पष्ट हो रहा है कि नगरपरिषद के प्रधानपद के चुनाव पर स्टे कोई और नहीं बलजीत कौर ही लेकर आई थी। जिस प्रकार से बलजीत कौर ने याचिका वापस लेने की मांग की है। कोर्ट के समक्ष सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने दलील दी कि उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने वाली बलजीत कौर की ओर से सार्वजनिक रूप से इस बात से इंकार किया गया था कि उसने याचिका दाखिल नहीं की है।

पार्षद की ओर से सिरसा में धार्मिक स्थल में इस आशय की शपथ भी ली गई। उसकी ओर से याचिका में अपने हस्ताक्षर न होने, दस्तावेज न देने की बात कहीं गई थी। उसने कानून का दुरुपयोग करके दुर्भावनापूर्ण इरादे से स्टे याचिका दाखिल की थी, ऐसे में अब उसकी याचिका वापस न की जाए बल्कि उसे डिसक्वालिफाई किया जाए।

हाईकोर्ट ने मामले में दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद सरकार को पार्षद बलजीत कौर मामले के सरकार को तमाम साक्ष्य प्रस्तुत करने के आदेश दिए है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 अक्टूबर का दिन तय किया गया है।इधर हलोपा उपाध्यक्ष गोबिंद कांडा ने कहा कि यह तो पहले ही पता था कि यह साजिश इन लोगों की ही रची हुई है। हमने कहा था कि इस मामले में गहनता से पड़ताल करवाकर सच्चाई सामने लेकर आएंगे। अब सच्चाई सबके सामने हैं कि स्टे कौन लेकर आया था।

यह था पूरा मामला: सिरसा नगर परिषद के पिछले लगभग दो साल से रिक्त प्रधान पद के लिए प्रशासन की ओर से पहले 4 अगस्त को और फिर 11 अगस्त का दिन तय किया गया था। जिला प्रशासन को 10 अगस्त की रात्रि को इस आशय की जानकारी प्राप्त हुई कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से प्रधान के चुनाव बारे स्टे हासिल कर लिया गया है। न्यायालय से स्टे 7 अगस्त को ही प्राप्त कर लिया गया था।

स्टे की याचिका बलजीत कौर की ओर से दिखाई गई थी। जिसके कारण 11 अगस्त को प्रधान के लिए चुनाव को टाल दिया गया। मामले ने उस समय तूल पकड़ा, जब पार्षद बलजीत कौर कई कांग्रेसी नेताओं के साथ नप कार्यालय पहुंचीं और उसने हंगामा खड़ा कर दिया। उसकी ओर से कहा गया कि उसने हाईकोर्ट में स्टे के लिए याचिका नहीं लगाई। कांग्रेसियों ने अन्य दलों के नेताओं पर षड्यंत्र रचने के आरोप जड़ें।

क्लियर हो गया स्टे पार्षद ही लेकर आई

अब क्लियर हो गया है कि यह स्टे बलजीत कौर ही लेकर आई थी। वह वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए सोमवार को कोर्ट के समक्ष पेश हुई। जिस वकील के ने याचिका लगाई थी। उसी के कक्ष में बैठकर उसने सुनवाई में हिस्सा लिया और याचिका वापस करने की मांग की है। अब अगली 8 अक्टूबर को होगी।' - गौरव अग्रवाल, सीनियर एडवोकेट हाईकोर्ट

यह पहले से ही पता था कि शहर के विकास में रोड़ा अटकाने वाले विपक्षी पार्टी से संबंधित लोग है। अब कोर्ट में हुई सुनवाई से साफ हो गया कि याचिका किसने लगाई है। मैने पहले ही कहा था कि दूध का दूध और पानी का पानी करके छोडूंगा। अब सच्चाई सामने आ गई है। झूठ लंबे समय तक नहीं टिकता। जो लोग हलोपा बीजेपी पर आरोप लगा रहे थे। अब वे जवाब दें। - गोपाल कांडा, विधायक, सिरसा



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