अपनी मांगों का लेकर आशा वर्कर्स यूनियन का धरना कार्यालय में जारी है। जिला प्रधान कलावती माखोसरानी व सचिव सिलोचना ने बताया कि सरकार की ओर से प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बातचीत के बाद समझौते को लागू करने के लिए 8 अक्टूबर तक का समय दिया गया है।
अगर समझौता लिखित में सरकार नहीं देती है तो आगामी संघर्ष की रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार की अनेकों योजनाओं को आशा वर्कर्स ने अपनी जान जोखिम में डालकर बखूबी लोगों तक पहुंचाने का काम किया है, लेकिन इसके बावजूद उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
आशा वर्करों के प्रयासों से प्रदेश का लिंगानुपात काफी सुधरा है। सरकार की ओर से लाभ तो दूर की बात है, कई-कई माह से कर्मचारियों को वेतन न देकर बेटियों का दोहरा शोषण किया जा रहा है। बिना वेतन के परिवार के समक्ष आर्थिक संकट भी पैदा हो गया है। सरकार जब सरकारी कर्मचारियों को सभी सुविधाएं दे सकती है तो हमें क्यों नहीं? क्या हम सरकार के कर्मचारी नहीं हैं। उनके साथ ही भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
अपनी जायज मांगों को लेकर वे काफी समय से संघर्ष कर रही हैं, लेकिन सरकार बजाय उनकी मांगों को पूरा करने के कर्मचारियों को लगातार संघर्ष के लिए मजबूर कर रही है। इस मौके पर नजीरा, पिंकी, ममता, ऊषा, रोशनी, रेखा, गीता, प्रवीण, पायल, नजीरा, छिंद्र, रणजीत उपस्थित थे।
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