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Friday, 16 October 2020

गैंगस्टर्स पर कार्रवाई के लिए पिछले साल बनाए विधेयक को राष्ट्रपति ने लौटाया, अब कैबिनेट ने दी नए विधेयक को मंजूरी

संगठित अपराध को खत्म करने के लिए बदमाशों को जेलों तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार की ओर से ‘हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2019’ वापस ले लिया गया है। बताया गया है कि राज्यपाल के बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया तो कुछ टिप्पणियों के साथ इसे वापस भेज दिया गया। यानि इसे मंजूरी नहीं मिली। ऐसे में मनोहर कैबिनेट ने अब हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2020 को मंजूरी दी है।

यह पूरे राज्य में लागू होगा। यह अधिनियम राज्य सरकार द्वारा अपने आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित करने की तिथि से लागू होगा। हरियाणा में संगठित अपराध को रोकने के लिए राज्य में समान कानून लागू करना अनिवार्य हो गया है, जो गैंगस्टर्स, संगठित आपराधिक गिरोहों के सरगनाओं और सदस्यों के खिलाफ प्रभावी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करता है। अपराधों से जुड़े मुकदमों से अर्जित संपत्ति को जब्त करने और इस अधिनियम के तहत अपराधों की ट्रायल से निपटने के लिए विशेष अदालतों और विशेष प्रोसिक्यूटर के लिए भी विशेष प्रावधान करने की आवश्यकता है।

नया मसौदा विधेयक प्रस्ताव के लिए अगले विधानसभा सत्र में लाया जाएगा। कैबिनेट की बैठक में उत्तर और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम पर एक रिपोर्ट भी पेश की गई। जिसमें उदय योजना की शर्तों के अनुसार दोनों निगमों में विभिन्न लोस कम करने की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार दोनों निगमों में एआरसी और एआरआर गैप कम हुआ है। इसके अलावा एटी और ट्रांसमिशन लॉस में भी कमी आई है। साल 2015- 16 में यह दोनों नुकसान 30.2% थे. वहीं साल 2019- 20 में यह 17. 17हो गए।

दावा किया गया था कि दोनों निगमों के लॉस में कमी करने से हरियाणा सरकार को 8670 करोड़ रुपए की बचत हुई है। -दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम को 700 करोड रुपए के लोन की सरकार ने गारंटी ली है।निगम के ऊपर पहले ही 8000 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसके अलावा सरकार ने रोहतक में बनने वाले मेगा फूड पार्क के लिए 55 करोड रुपए लोन की गारंटी भी ली है। चुनाव आचार संहिता की वजह से बरोदा के बुटाना के जनता कॉलेज को यूनिवर्सिटी बनाने संबंधी प्रस्ताव को स्थगित कर दिया गया।

भू-जल दोहन से लेकर सिंचाई और जलापूर्ति के लिए खुद के होंगे प्रावधान
अब हरियाणा में स्टेट वाटर अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। अब तक भू जल को लेकर सेंट्रल वाटर कमीशन द्वारा जारी दिशा-निर्देश ही लागू होते थे। जल आपूर्ति, सिंचाई, नहरें, ड्रेनेज एवं तालाब, जलभंडारण, एवं पनबिजली राज्य का विषय हैं। इस लिए यह विधेयक लाया गया है। कैबिनेट ने जल संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन आदि के लिए हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, प्रबंधन और विनियमन)प्राधिकरण विधेयक-2020 के प्रारूप को स्वीकृति दी। अब राज्य सरकार अपने नियमों के अनुसार जलसंरक्षण को लेकर काम करेगी। बैठक के बाद सीएम ने कहा कि सेनेडाइज सत्र को फिर से बुलाने के लिए विधानसभा स्पीकर से सिफारिश की है। 3 नवंबर या 10 नवंबर के बाद ही सत्र फिर से शुरू हो सकता है। सीएम ने बताया कि सेंट्रल वॉटर कमीशन के नियम कई बार हरियाणा में फिट नहीं बैठते हैं।



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फाइल फोटो।


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