
कई बार सिरदर्द बने मामलों को निपटाने के लिए पुलिस कुछ भी कर सकती है। बधोली के ठाकुरद्वारा मंदिर में पुजारी रामेश्वर दास से हुई लूट का 34 दिन पुराना मामला ऐसा ही बन गया है। पुजारी ने जिन 3 आरोपियों के नाम बताए, पुलिस उन्हें कस्टडी में लेकर पूछताछ कर चुकी है। आरोपियों की लूट मामले में संलिप्तता का कोई सबूत न मिलने पर उन्हें छोड़ दिया गया। लेकिन मामला निपटाने के लिए इन आरोपियों के परिजनों से मंदिर को 3 लाख का मुआवजा दिलवाने की बात हुई।
पुलिस ने हालांकि यह मामला दोनों पक्षों की पंचायत पर छोड़ दिया था लेकिन अंदरखाते उसकी भी मूक सहमति थी कि पंचायती तौर पर मामला निपट जाए। बताते हैं कि मामला निपटाने को लेकर बढ़ते दबाव के बीच पकड़े गए आरोपियों के परिजन 3 लाख रुपए का मुआवजा देने को तैयार हुए। ग्रामीणों के मुताबिक आरोपी पक्ष ने शर्त यह रखी कि वह पैसा मंदिर में स्थित समाधि पर रख देंगे और कोई ग्रामीण नेम-धर्म करते हुए वह पैसा उठाएगा। बधोली के ग्रामीणों ने यह शर्त मानने से इंकार कर दिया।
उनका कहना था कि यह पैसे पुजारी खुद उठाएंगे। इसी वजह से बात सिरे नहीं चढ़ सकी। शुक्रवार को मदनपाल राणा की मौजूदगी में हुई पंचायत में तय हुआ कि अब इंसाफ के लिए पुलिस के बड़े अधिकारियों से मिलेंगे। पुलिस नाकामी छुपाने के लिए जांच को एक मेज से दूसरे पर सरका रही है। यह इलाके की प्रतिष्ठा का सवाल है।
पहले नारायणगढ़, फिर मुलाना थाने और अब सीआई के हवाले जांच
12 सितंबर की रात को बधोली के ठाकुरद्वारा मंदिर के पुजारी से लूट हुई। आरोप है कि 5 बदमाशों ने पुजारी की सोने की 3 अंगूठियां व साढ़े 16 हजार की नकदी लूटी। दो दिन बाद ही पुजारी ने पुलिस को बधोली, भरेड़ी व बख्तुआ के तीन लोगों के नाम बताए। पहले नारायणगढ़ पुलिस जांच कर रही थी। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए ग्रामीणों ने दो बार रोड जाम किया। जांच मुलाना थाने को दे दी गई। मुलाना पुलिस ने आरोपियों को पूछताछ के लिए कस्टडी में लिया। थाना प्रभारी नरेंद्र राणा का कहना है कि आरोपियों से कोई सबूत न मिलने पर उन्हें हिरासत से छोड़ा। अभी केस से उनका नाम निकाला नहीं है। पुलिस ने मुआवजा दिलवाने की कोई बात नहीं की। पंचायती तौर पर कोई बात हुई तो पता नहीं। अब 10 अक्टूबर को सीआईए-2 को जांच दी गई है। सीआईए प्रभारी सुभाष ने कहा कि नए सिरे से जांच होगी।
जानबूझ कर फंसाया जा रहा: आरोपी
बधोली के जिस युवक पर आरोप है, वह हमारा दोस्त है। ग्रामीणों की उसकी के साथ कोई खुन्नस रही होगी। इसलिए हमें भी उसके साथ घसीटा जा रहा है। हम कभी मंदिर में नहीं गए। हैरान हैं कि पुजारी ने हमारे नाम कैसे ले दिए। कोई गलती नहीं फिर भी माफी मांगने को तैयार हैं। बधोली के पुजारी व ग्रामीणों की तरफ से ही तीन लाख की बात रखी गई थी। हम पुलिस जांच में सहयोग के लिए हमेशा तैयार हैं। -जैसा आरोप झेल रहे युवक ने कहा
ग्रामीणों के तर्क
1. यदि तीनों आरोपी वारदात में शामिल नहीं तो उनसे 3 लाख का मुआवजा किस बात का?
2. यदि ये आरोपी वारदात में शामिल नहीं तो फिर किसने वारदात की?
3. पुलिस एक महीने बाद भी आरोपियों तक क्यों नहीं पहुंच सकी?
4. जब पुजारी खुद आरोपियों को पहचान रहे हैं तो पुलिस को क्या सबूत चाहिए?
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3jcTnqU