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Saturday, 7 November 2020

सरकार हठधर्मिता छोड़ तीनों कृषि कानूनों को वापस ले: दलीप सिंह

केन्द्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में लागू किए गए तीन कानूनों के विरोध में संचालित धरना शनिवार को भी जारी रहा तथा अनेक किसान, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने पहुंच कर समर्थन का वायदा किया। किसानों ने सरकार को तानाशाही छोड़ कर तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की।

किसान मजदूर संयुक्त मोर्चा संयोजक दलीप सिंह की अगुवाई में कस्बे के उपमंडल कार्यालय के समक्ष संचालित धरने को संबोधित करते हुए किसान संघर्ष समिति संयोजक कमलसिंह ने कहा कि दक्षिणी हरियाणा की सभी मंडियों में बाजरा खरीद और धान बिक्री रामभरोसे चल रही है। सरकार बरोदा में पहुंच कर वहां की जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रही थी जबकी बाजरा बेचने वाले किसान अपनी भुगतान राशि के लिए मंडियों के चक्कर लगा रही है।

केन्द्र सरकार के तीन कानूनों ने किसान को बंधुआ मजदूर बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही लेकिन कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ मुस्तैदी से खड़ी है। बाढड़ा उपमंडल समेत सभी केन्द्रों पर बाहरा राज्यों से लाया गया बाजरा खरीद रहा है और किसान अपने अनाज की बिक्री के इंतजार में है वहीं जिसने दो सप्ताह पहले बेच दिया उसको जानबूझकर भुगतान नहीं करने दिया जा रहा है। मार्च माह में स्वीकृत किए गए मुआवजे का वितरण न करवा कर सरकार तानाशाही का परिचय दे रही है।

इनेलो जिलाध्यक्ष विजय ने कहा कि उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की गलत नीतियों से आज जीडीपी सबसे निचले स्तर पर है वहीं बेरोजगारी तेजी से बढ़ने से प्रदेश के विकास पर ग्रहण लग गया है। चुनाव से पहले डिप्टी सीएम जिस बाढड़ा दादरी को अपने पिता डाॅ. अजयसिंह की कर्मभूमि का दर्जा देते थे वहां के किसानों को न तो आठ माह पूर्व ओलावृष्टि से खराब हुई रबी सीजन की गेहूं सरसों का मुआवजा मिल पाया है और न ही मौजूदा समय में नरमा पर सफेद मक्खी से प्रभावित फसलों की सुध लेने आए हैं। कई लोग केवल सत्ता प्राप्ति के लालच में जनभावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं। इस दौरान किसान नेता दिलबाग सिंह, मीरसिंह, नसीब, अजीत, धर्मबीर, दयानंद डागर, ओमप्रकाश आदि मौजूद थे।



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Government should abandon dogma and withdraw all three agricultural laws: Dalip Singh


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