शनिवार को एनईईटी क्वालिफाई छात्रों व उनके अभिभावकों की मीटिंग हुई। इसमें हरियाणा सरकार के चिकित्सा शिक्षा एवं शोध द्वारा जारी नोटिफिकेशन पत्र पर भारी विरोध दर्ज किया गया। सभा को संबोधित करते हुए हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के राज्य उपप्रधान यादवेंद्र ने कहा कि राज्य के छात्र अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है।
29 अक्टूबर को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार 52 हजार 70 रुपये फीस ही भरनी थी। जिसे अब 80 हजार रुपये के साथ 9 लाख 20 हजार रुपये बॉड के साथ कर दी है। कुल कोर्स के 40 या 45 लाख रुपये व उनका ब्याज समेत 65 लाख से अधिक हो जाएगा, यह सरासर अन्याय है। आल इंडिया कोटा जो 15 प्रतिशत है उसकी लिस्ट पहले ही जारी हो चुकी है। अगर पहले पता होता तो छात्र अपनी ऑप्शन अलग से ही भरते। भारत के ज्यादातर राज्यों ने इतनी फीस नहीं बढ़ाई है।
अतः हरियाणा के छात्र दूसरे राज्यों में जाएंगे और सरकार का यह कदम राज्य की प्रतिभा पलायन को ही बढ़ावा देगा। सामान्य काॅलेजों में स्नातक तक की लड़कियों की शिक्षा मुफ्त है तो मेडिकल कॉलेजों में भी छात्राओं की शिक्षा मुफ्त होनी चाहिए। एम्स की फीस मात्र 10 हजार रुपये सालाना से कम है तो हरियाणा के मेडिकल कॉलेजों की फीस 10 लाख क्यों? हरियाणा सरकार सभी मेडिकल के छात्रों को रोजगार देने में असमर्थ है जैसा कि नोटिफिकेशन के प्वाइंट नंंबर 9 में लिखा है तो भावी चिकित्सक लोन को कैसे पूरा करेंगे।
मीटिंग में सर्वसम्मति से इस काले नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग की गई व चेतावनी दी गई कि सभी छात्र व अभिभावक पढ़ाई छोड़कर किसानों, कर्मचारियों, आंगनवाड़ी वर्कर, आशा वर्कर व व्यापारियों की तरह की सड़कों पर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। अभिभावक पवन, गोविंद, सीतानंद गौड़ एडवोकेट, सुरेश, विजय, सुनील आदि ने कहा कि मामला कोर्ट में जाने से एक साल खराब होने की आशंका बन सकती है। अतः इस काले कानून को तुरन्त प्रभाव से वापस करना चाहिए।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/32quXV7