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Wednesday 30 December 2020

लंच तक दोनों पक्ष अड़े रहे, लंगर छकने के बाद बदले सरकार के सुर, समाधान की उम्मीद जगी

सरकार और किसानों के मध्य बुधवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में करीब सवा दो बजे वार्ता शुरू हुई। पहले चरण में सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि वे बताएं कि किन मुद्दों पर चर्चा चाहते हैं। किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने उन चारों मुद्दों को दोहराया, जो उन्होंने ई-मेल से सरकार को भेजे थे। मुद्दे रखते ही सरकार ने स्पष्ट कर दिया गया कि कानून वापस नहीं ले सकते।

संशोधन को तैयार हैं। वहीं एमएसपी पर मंत्री ने कहा कि अगर आप पहले आंदोलन खत्म करने को तैयार होंगे, तो आश्वासन देंगे। किसान भड़क गए। कहने लगे कानून वापस लेने और एमएसपी पर चर्चा करनी है तो करें, नहीं तो बैठक यहीं खत्म की जाए। मध्य लंच तक का समय निकल गया।

शाह से बात और लंगर से बदले सुर
लंगर के बाद रेल मंत्री पियूष गोयल और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से फोन पर गृह मंत्री अमित शाह ने बात की। उन्होंने भी किसानों के साथ ही खड़े होकर लंगर का खाना खाया। शाह से बात और लंगर छकने के बाद शुरू हुई वार्ता के अगले सेशन में सरकार का रुख कुछ बदला हुआ नजर आया। सरकार की तरफ एमएसपी एक प्रस्ताव रखा गया और कहा गया कि वो कानून बनाकर इसकी गारंटी दे सकती है। अगर किसान आंदोलन से उठने को तैयार हो जाएं। साथ ही कहा कि कानूनों को रद्द करना इतना आसान नहीं है और इसकी प्रक्रिया काफी लंबी है। इस पर एक कमेटी बना लेते हैं जो चर्चा कर अंतिम निर्णय ले लेगी, लेकिन किसान अड़े रहे।

बिंदुवार बात के आइडिया से निकली समाधान की उम्मीद
चाय के बाद शुरू हुए तीसरे सेशन में पियूष गोयल ने प्रस्ताव दिया कि हमें एक-एक एजेंडे पर बारी-बारी से चर्चा करके सहमती बनानी चाहिए। इस पर किसान सहमत नजर आए। फिर तोमर ने कहा कि पहले प्रदुषण और बिजली बिल पर अपनी आपत्तियां बताएं। इस पर किसान नेता बलबीर राजेवाल ने कहा कि बिजली सब्सिडी किसानों को जैसे मिलती रही है, वैसे मिलनी चाहिए।

पराली जलाने पर केस दर्ज न करने पर भी कृषि मंत्री तैयार हो गए। सरकार दोनों बिलों को वापस लेने के लिए तैयार हो गई। कृषि मंत्री ने कहा कि एमएसपी पर कानून की गारंटी दे सकते हैं, शर्त है कि आंदोलन खत्म करें। किसान पर नहीं माने। फिर तय हुआ कि 4 जनवरी को वार्ता करेंगे, जिसमें एमएसपी पर चर्चा होगी। वहीं किसानों से आग्रह किया कि वो कमेटी बनाने पर विचार करें और हो सके तो ट्रैक्टर मार्च न निकालें। टिकैत ने कहा कि स्थगित कर देते हैं।



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सरकार से बातचीत करते किसान नेता।


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