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Wednesday, 30 December 2020

सोनीपत के पहले मेयर बने मदान, चलाएंगे निगम आपके द्वार योजना, भ्रष्टाचार की कराएंगे जांच

नगर निगम बनने के पांच साल बाद हुए चुनाव में कांग्रेस के निखिल मदान शहर के पहले मेयर बने । उन्होंने भाजपा उम्मीदवार ललित बत्रा को 13817 वोट के अंतर से हराया। निखिल को 72118 मतों जबकि बतरा को 58301 वोट मिले। मेयर पद के 10 में आठ प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। ललित बत्रा ने इससे पहले 2005 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से चुनाव लड़ा था और पाचवें नंबर पर आए थे।

20 वार्ड के निगम में 10 पार्षद भाजपा के, 9 पार्षद कांग्रेस के और 1 पार्षद निर्दलीय चुनकर आए हैं। इससे पहले दस साल पहले 2010 मेें शहर में नगर परिषद का चुनाव हुआ था। इसके अंतिम साधना देवी थीं। इसके बाद 2015 में यहां निगम बना दिया गया। लेकिन उसका चुनाव 27 दिसंबर को हुआ। निखिल मदान ने जीत के बाद कहा कि वह लोगों की समस्याओं को जानने के लिए निगम आपके द्वार योजना चलाएं और मोबाइल एप बना कर लोगों की समस्यायों का समाधन करेंगे।

दीपेंद्र आए तब बाहर आए मदान

मदान की जीत की घोषणा के बाद वे काउंटिंग सेंटर के अंदर रहे। हालांकि बाहर समर्थक ढोल के साथ जश्न मनाने लगे। साढ़े 12 बजे मदान ने जीत का प्रमाण पत्र हासिल किया। चार बजे राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा और शहरी विधायक सुरेंद्र पंवार पहुंचे। इसके बाद वह बाहर आए। यहां से समर्थकों के साथ गोहाना रोड होते हुए शहर में विजय जुलूस निकाला।

9 बजे आया पहला परिणाम

8 बजे से मोहाना बिट्स कॉलेज में कड़ी सुरक्षा के बीच मतगणना हुई। सुबह साढ़े 9 बजे के करीब वार्ड 8 से पुनीत राई के पहले प्रत्याशी की जीत की घोषणा हुई। 11 बजे के बाद पार्षद प्रत्याशियों के राउंड खत्म होते रहे। मेयर पद पर कांग्रेस प्रत्याशी की लगातार बढ़त को देखते 12 बजे समर्थक मतगणना केंद्र के पास पहुंचने लगे थे।

हर पार्षद लखपति

नगर निगम सोनीपत की पहली सरकार कई करोड़पति जीतकर पहुंचे हैं। इसमें दसवीं एवं 12वीं पास उम्मीदवारों के साथ-साथ स्नातक से लेकर बीएड, एमकाम से लेकर पेशे से अधिवक्ता भी मिले हैं। उम्र के मामले में अधिकांश पार्षद अनुभवी है और औसत आयु ज्यादातर की 40 है। सरकार में महिला शक्ति भी खूब चमकी है और सात उम्मीदवार सदन में आधी शक्ति की आवाज बुलंद करते हुए नजर आएंगी। वार्ड पार्षदों में सबसे अमीर पार्षद जहां वार्ड तीन से सुरेन्द्र मदान हैं जो करीब साढ़े चार करोड़ से अधिक के मालिक हैं। वहीं लखपति होने के बाद भी गरीब पार्षद वार्ड 13 की संगीता सैनी हैं, जो घोषित तौर पर चार लाख 93 हजार की मालकिन हैं।

मदान की जीत के बड़े कारण

  • शहर में बहुत से परिवार ग्रामीण और किसानी क्षेत्र से जुड़े हैं। तीन कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब-हरियाणा के किसान जिले में ही कुंडली बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। चुनाव प्रचार में यह मुद्दा बना। शहर से बाहरी इलाकों में कांग्रेस को अच्छा वोट मिला।
  • कांग्रेस की टिकट दावेदार अशोक छाबड़ा बगावत कर पार्टी छोड़ गए। कांग्रेस ने इनेलो जिलाध्यक्ष सुरेंद्र छिक्कारा, पदाधिकारी, पूर्व नप चेयरमैन सतपाल गोयल, राई के पूर्व विधायक सूरजमल के बेटे जजपा नेता बिजेंद्र आंतिल को साथ जोड़ा।
  • भाजपा ने छवि के आधार पर ललित बत्रा को मैदान में उतारा, लेकिन शहर में उनकी ज्यादा पकड़ और गतिविधियां नहीं होने से जनता के दिलों में जगह नहीं बना पाए।
  • शहर में पोलिंग 45 से 50 प्रतिशत हुई जबकि बाहरी कॉलोनियों और ग्रामीण क्षेत्र में मतदान 60 से 85 प्रतिशत तक हुआ जोकि कांग्रेस के पक्ष में गया। मतगणना में भी पहले चार राउंड में अच्छी फाइट देने वाले भाजपा प्रत्याशी बत्रा बाद में पिछड़ते चले गए।
  • निखिल के पिता राजकुमार मदान 2000 में वार्ड 13 से पार्षद रह चुके हैं। उनको शहर की समस्या की जानकारी है। निखिल की शादी पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन के परिवार में हुई है। अजय मकान उनके प्रचार में आए, रणनीत बनाई।


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साेनीपत. जीत के बाद निखिल मदान काे गले लगाकर खुशी जताते राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा।


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