पवन कुमार | नई दिल्ली
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। संवैधानिक पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की 8 साल से सुनवाई चल रही है। यह मामला 2011 में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था, लेकिन इस मामले से जुड़े संबंधित दस्तावेजों को निचली अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने में 3 साल लग गए थे। इसके अलावा इस मामले से जुड़े 7 भाषाओं में हजारों पेज के दस्तावेजों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद न हो पाने की वजह से भी मामले की सुनवाई कई साल लटकी। सुप्रीम कोर्ट को इस संदर्भ में 11 बार आदेश जारी करने पड़े। तब जाकर 8 साल में सभी दस्तावेजों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद हो सका।
राम मंदिर पर फैसले से पहले आरएसएस की हरिद्वार में बैठक
राम मंदिर पर फैसला आने से कुछ दिन पहले आरएसएस की हरिद्वार में बैठक होगी। यह बैठक 5 साल में एक बार होती है। हालांकि अभी संघ ने इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा है। बैठक 4 नवंबर तक चलेगी। दरअसल, 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सेवानिवृत्ति होंगे। इससे पहले कोर्ट का फैसला आना तय है।
सुप्रीम कोर्ट ने अनुवाद को लेकर 8 साल में 11 आदेश जारी किए
पहला आदेश- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस आरएम लोढ़ा की पीठ ने 9 मई 2011 को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई। केस के सभी रिकाॅर्ड डिजिटल रूप में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तलब किए। करीब 3 साल बाद भी हाईकोर्ट से संबंधित दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट नहीं पहुंचे।
छठा आदेश- जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ के सामने 11 अगस्त 2017 को हिंदू पक्षकार के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले का अनुवाद नहीं हो पाया है। पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि केस से जुड़े 9 हजार पेज के अहम दस्तावेजों का 12 सप्ताह के भीतर अंग्रेजी भाषाओं में अनुवाद कराया जाए।
आखिरी 3 आदेश- सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च 2018 को यूपी सरकार आदेश दिया कि वह हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों का अनुवाद कराए। जस्टिस गोगोई की पीठ ने 10 जनवरी 2019 को रजिस्ट्रार को अनुवाद की खामियों को दूर करने का कहा। पीठ ने 26 फरवरी को पक्षकारों से कहा कि वे अनुवाद से संतुष्ट हैं तो हमें बताएं।
जब निर्मोही अखाड़ा ने कहा- दस्तावेज तो डकैत ले गए...
7 अगस्त|चीफ जस्टिस ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा मालिकाना हक के दस्तावेज पेश करे? निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि दस्तावेज तो 1982 में डकैत ले गए।
9 अगस्त|जस्टिस बोबड़े- क्या राम के वंशज अयोध्या या दुनिया में मौजूद हैं?
14 अगस्त|जस्टिस बोबड़े- मंदिर किसने तोड़ा था? बाबर ने या औरंगजेब ने?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मैं फिर टैक्सी मरम्मत का काम करूंगा: इकबाल
मुस्लिम पक्ष के पैरोकार इकबाल अंसारी कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मैं फिर से टैक्सी मरम्मत का पुराना काम करूंगा। मेरे बेटे भी यही कर रहे हैं। मैं कभी राजनीति में नहीं जाऊंगा। इकबाल के 5 बेटे और एक बेटी हैं। उन्हें बाबरी मस्जिद की पैरोकारी पिता हाशिम अंसारी की छोड़ी विरासत से मिली है। इकबाल को मिले 3 सुरक्षा गार्ड उनके घर के बाहर अधूरे टिन शेड में रहते हैं। हाजी महबूब भी बाबरी मस्जिद के पैराकार हैं। इन्हंे भी पिता से पैरोकारी विरासत में मिली है। महबूब का कहना है कि अब फैसला तय है। इस मुद्दे पर बहुतों ने बहुत कुछ बनाया, लेकिन मुझे पुरखों की जमीन से 9 बीघे इसी केस में बेचने पड़े हैं।
हाईकोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला दिया था, अब भरोसा है कि भगवान मंदिर बनाएंगे: पांडेय
जमीन विवाद का टाइटलसूट श्रीराम लला विराजमान के नाम है। श्रीराम लला के दोस्त के रूप में केस के पक्षकार त्रिलोकीनाथ पांडेय ने कहा है कि हमें भरोसा है कि भगवान अपना मंदिर बनाएंगे। हाईकोर्ट की 3 जजों की बेंच ने भी 2010 में श्रीराम लला के पक्ष में डिग्री दी, पर 2.77 एकड़ जमीन को 3 हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड व निर्मोही अखाड़ा के बीच बांट दिया। शुरू में राम जन्म भूमि का विवाद का टाइटल सूट गोपाल सिंह विशारद के नाम से था। गोपाल के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी राजेंद्र सिंह पैरोकार हैं। लेकिन 1989 से हाईकोर्ट में यह केस श्रीराम लला विराजमान बनाम सुन्नी वक्फ बोर्ड के नाम से चल रहा है।
ये दिन ऐतिहासिक, कोर्ट हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाएगा: विष्णु
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव काेकजे ने उम्मीद जताई कि अयाेध्या विवाद में सुप्रीम काेर्ट हिंदुअाें के पक्ष में फैसला सुनाएगा। उन्हाेंने कहा कि जिस तरीके से मुस्लिम पक्ष ने सुनवाई में खलल डालने की काेशिश की, उसे देखते हुए 16 अक्टूबर का दिन एेतिहासिक कहा जा सकता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2oRJskj