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Thursday 17 October 2019

भाजपा, कांग्रेस ने उतारे पुराने चेहरे, जजपा के आने से समीकरण बदले से दिख रहे हैं

नरवाना सीट 2009 में परिसीमन के बाद आरक्षित हो गई। इससे पहले यहां इनेलो और कांग्रेस या यूं कहें कि चौटाला और सुरजेवाला के बीच खूब दंगल जमा है। ओमप्रकाश चौटाला यहां से जीतकर प्रदेश के सीएम बने,लेकिन अगली बार यहां से हार गए। हरियाणा बनने के बाद सबसे पहले विधायक शमशेर सुरजेवाला बने और बाद में उनके बेटे रणदीप सुरजेवाला बिजली मंत्री तक यहां से रहे। अब भाजपा, कांग्रेस और इनेलो से अलग हुई जजपा का प्रभाव भी नजर आता है। तीनों पार्टी के प्रत्याशी यहां मैदान किस्मत आजमा रहे हैं। -पढ़िए जितेंद्र बूरा की रिपोर्ट


पिछले दो बार से यहां इनेलो का विधायक बना है। अब जजपा ने यहां कुछ प्रभाव बढ़ाया है। भाजपा ने पिछली बार इस सीट पर चुनाव लड़ने वाली संतोष रानी को दोबारा उतारा है। वे 9152 वोट के अंतर से दूसरे स्थान पर रही थीं। कांग्रेस ने भी पिछली बार हार चुकी विद‌्या रानी को फिर मौका दिया है। जजपा ने सामाजिक कार्यों से चुनावी तैयारी में लगे रामनिवास वाल्मीकि को टिकट दिया।

दो बार विधायक रहे पिरथी सिंह उनके लिए वोट मांग रहे हैं। इनेलो से सरपंच सुशील जुल्हेड़ा मैदान में हैं। बिनैण खाप का चबूतरा भी यहां है। शहर के प्रमुख नेहरू पार्क में लाइब्रेरी के सामने कुर्सियों पर बैठे लोग चर्चा में मशगूल थे। 3 बार निर्दलीय इलेक्शन लड़कर जमानत जब्त करवा चुके केसर सिंह ने कहा कि नरवाना का इलेक्शन इतना आसान नहीं है। शहर का वोटर का मूड कुछ तो गांव के वोटर का कुछ ओर होता है। शहर में कांग्रेस और भाजपा की टक्कर दिख रही है तो गांवों से जेजेपी का असर नजर आता है। दयाल सिंह जांगड़ा ने कहा कि कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशी दनौदा से ही हैं।


भाजपा, कांग्रेस, इनेलो और बसपा प्रत्याशी एक ही जाति से हैं जबकि जजपा ने सुरजाखेड़ा के रामनिवास वाल्मीकि को टिकट दी। ऐसे में मुकाबला और रोचक हो गया है। शहर में मंडी का भी अपना प्रभाव है। व्यापारी रमेश जैन कहते हैं कि व्यापारी और शहरी वोटर भाजपा को पसंद कर रहा है। चुनाव में भी इसका असर दिखेगा। बिनैण खाप का राजनीति में सीधा दखल नहीं है लेकिन खाप के गांव अपने स्तर पर चुनावी समीकरण बनाने में लगे हैं। क्षेत्र के बड़े गांव धमतान के जगरूप का कहना है कि चिकित्सा, शिक्षा और पानी यहां प्रमुख मुद्दा है। केमएम कॉलेज व एसडी महिला कॉलेज के अलावा कोई बड़ा शिक्षण संस्थान नहीं है।



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शहरी वोटर भाजपा के साथ दिख रहा, ग्रामीण अभी चुप्पी साधे हैं।


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