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Thursday 17 October 2019

प्रचार में भले ही भाजपा आगे, पर मतदाता अभी साइलेंट हैं

अहीरवाल-जाटलैंड के बीच आने वाला कोसली विस क्षेत्र सैनिकों की खान कहा जाता है। प्रदेश में सबसे ज्यादा सैनिक रेवाड़ी जिले से हैं। उसमें कोसली का भाग 42 % से अधिक है। 2013 में नरेंद्र मोदी ने चुनावी अभियान की शुरुआत में रेवाड़ी में पूर्व सैनिक सम्मेलन किया था। ...पढ़िए धर्मनारायण शर्मा की रिपोर्ट


रोहतक लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा होने के कारण यहां कांग्रेस का प्रभाव रहा है। वैसे यह राव इंद्रजीत सिंह व भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की राजनीति पर भी असर डालता है। 2004 में परिसीमन से पहले इसे जाटुसाना विधानसभा के रूप में पहचाना जाता था, और कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। राव इंद्रजीत सिंह यहां से जीतते रहे। अनीता यादव और उसकेे बाद यादवेंद्र सिंह यहां से जीते।

राव इंद्रजीत के भाजपा में जाने के बाद 2014 में उनकी पसंद रहे विक्रम ठेकेदार ने यहां पहली बार कमल खिलाया। इस बार राव की नाराजगी के चलते उनकी टिकट कटी और उनकी इच्छा से भाजपा ने लक्ष्मण सिंह को चुनावी मैदान में उतारा। लोकसभा प्रभारी होने के नाते जाहिर है कि लक्ष्मणसिंह की पीठ पर पार्टी, संगठन और रामपुरा हाउस है।


दिलचस्प यह है कि उनका मुकाबला भी रामपुरा हाउस के ही राव यादवेंद्र सिंह से है। राव इंद्रजीत सिंह के छोटे भाई यादवेंद्र को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। ऐसे में यहां मुकाबला रामपुरा हाउस बनाम रामपुरा हाउस का है। करीब 1 लाख 65 हजार वोटरों के इस इलाके में भाजपा यहां दूसरी बार कमल खिलाना चाहती है। चुनाव से कुछ समय पहले पार्टी में जगदीश यादव शामिल हुए। उन्होंने पिछली बार इनेलो प्रत्याशी के तौर पर 52 हजार वोट लिए थे। मई में लोकसभा चुनाव में 75 हजार वोट आए। दूसरी ओर दीपेंद्र हुड्डा के संसदीय क्षेत्र होने तथा उनके यहां मान रहे हैं।

यहां पिछली बार इनेलो में 3 बड़े नेता थे। जगदीश यादव भाजपा में चले गए। जगफूल आजाद उम्मीदवार के तौर पर हैं, जबकि जजपा ने यहां से रामफल कोसलिया को उतारा है। बस स्टैंड पर मेडिकल स्टोर चलाने वाले पुरुषोत्तम गोयल कहते हैं चुनाव प्रचार में भले ही भाजपा आगे हो, लेकिन मतदाता भी साइलेंट ही दिखता है। उनकी इस बात का समर्थन कोसली फ्लाईओवर के नीचे चारपाई बेचने वाले मुकेश के साथ हुक्का पीर हे दडौली गांव के पृथ्वी ने भी किया। बोले- अभी किसे वोट देना है,यह फैसला नहीं किया है।

कोसली से रेवाड़ी जाने पर नया गांव, जिसे सादतपुर भी कहा जाता है, वहां बाइक पर जा रहे राजेंद्रसिंह से रेवाड़ी का रास्ता पूछा और चुनावी हाल पर सवाल किया तो जवाब मिला कि अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। आगे बढ़े तो कृष्ण नगर लूला अहीर के मोड़ पर ग्रामीण ताश खेलते मिले। यहां राजेंद्र शास्त्री का कहना था कि नेशनल मुद्दों पर तो बात हो रही है, लोकल मुद्दे कोई नहीं छेड़ रहा। सबसे बड़ा सवाल पैरामिल्ट्री से जुड़े लोगों को वन रैंक-वन पेंशन देने का है।



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राव इंद्रजीत के भाजपा में जाने के बाद 2014 में पहली बार यहां कमल खिला।


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