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Thursday 17 October 2019

कांग्रेस छोड़ भाजपा की टिकट लाए आर्य, इनेलो छोड़ कांग्रेस से सुभाष के उतरने से बढ़ी रोचकता

सफीदों का मतदाता न माहौल देखता है, न किसी से बंधा है। बचन सिंह आर्य और रामफल कुंडू ही दो-दो बार विधायक बने लेकिन ये भी अलग-अलग समय में और पार्टी बदलकर। इस बार कांग्रेस छोड़ भाजपा से बचन सिंह आर्य, इनेलो छोड़ कांग्रेस से सुभाष देसवाल, जेजेपी से दयानंद कुंडू, इनेलो से जोगेंद्र कालवा मैदान में हैं। निर्दलीय राजबीर शर्मा व अन्य भी समीकरण बदल रहे हैं। पढ़िए जितेंद्र बूरा की रिपोर्ट

कांग्रेस छोड़कर पिछली बार निर्दलीय जीते जसबीर देसवाल को भाजपा ने पटका पहनाकर भी टिकट नहीं दी। टिकट की बाजी लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने मार ली। जसबीर देसवाल अब शांत बैठे हैं। इनेलो से टूटकर जेजेपी बनी तो इनेलो के हलका अध्यक्ष सुभाष गांगोली ने कांग्रेस की टिकट हासिल कर ली। पांच साल से सामाजिक तौर पर लड़कियों के कॉलेज व मरीजों के मेडिकल कॉलेज के लिए बसें लगाकर चुनावी तैयारियों में सुभाष जुटे थे।

जजपा ने अपने पुराने नेता दयानंद कुंडू पर ही दांव खेला है। सफीदों का एतिहासिक स्थल नागक्षेत्र के आसपास इन दिनों जगह-जगह राजनीतिक चर्चाओं का दौर चल रहा है। यहां साथ लगते पटवार भवन में पहुंचे हाट गांव के बलवान सिंह बोले, कांग्रेस ने एन मौके पर सुभाष को टिकट देकर मुकाबला रोचक बना दिया है। भाजपा के बचन सिंह को सुभाष गांगोली टक्कर देगा। जजपा भी माहौल बनाए हुए है। सफीदों के दुकानदार प्रवीन बताते हैं कि शहर में भाजपा ही बढ़त में रहेगी। लोकसभा और पिछले विधानसभा में भी हालत ऐसे ही थे। हालांकि इस बार चुनाव में भाजपा के पुराने नेता अभी खुलकर मैदान में दिख नहीं रहे हैं।

लेकिन बचन सिंह आर्य खुद भी मजबूती रखते हैं। सफीदों से जींद रोड पर बूढ़ाखेड़ा गांव के अड्‌डे पर बैठी लोगों की मंडली चुनावी समीकरण बनाने में लगी थी। बूढ़ाखेड़ा के रामकुमार ने बताया कि सफीदों हलका दो कस्बो में बंटा है। एक सफीदों व दूसरा पिल्लूखेड़ा। इस बार पिल्लूखेड़ा के गांवों की तरफ से दयानंद कुंडू, कालवा से जोगेंद्र और गांगोली से सुभाष मैदान में हैं। जबकि सफीदों की तरफ से बचन सिंह आर्य, लोसुपा के विजय सैनी हैं। गांव के ही जितेंद्र ने कहा कि इस इलेक्शन में रैलियों की भीड़ से चुनाव का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। सुभाष गांगोली और बचन सिंह अपनी रैली कर चुके हैं और अन्य उम्मीदवार करने वाले हैं। यहां मुद्दा खास नहीं है लेकिन मतदाता क्या तय करेंगे यह समय ही बताएगा।



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बुजुर्गों की मंडली चुनावी समीकरण बनाने के साथ साथ हवाओं का रुख बताती है।


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