
नई दिल्ली.राजधानी दिल्ली की सत्ता से 20 साल से बाहर चल रही भाजपा के लिए इस बार आरपार की लड़ाई है। भाजपा के लिए दिल्ली में न सिर्फ सत्ता में आने की चुनौती है, बल्कि उसकी सदस्यता अभियान का भी इम्तिहान होगा। देखना होगा कि क्या उसकी सदस्यता संख्या वोटों में तब्दील हो पाएगी। हालांकि 2015 के चुनाव के समय चल रहे सदस्यता अभियान में बने सदस्यों के पूरे वोट पार्टी हासिल नहीं कर पाई थी। भाजपा ने 2015 में 44,45,172 सदस्य बनाए थे। लेकिन उसे विधानसभा के चुनाव में महज 28,90,485 (32.19 फीसदी) वोट ही मिल पाए थे। जबकि आम आदमी पार्टी को 48,78,397 (54.34 फीसदी) वोट मिले थे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वापसी की और 49,085,541 (56.86 फीसदी) वोट हासिल कर सातों संसदीय सीटें जीत ली थीं।
- इसके बाद 2019 के सदस्यता अभियान में भाजपा ने 10 लाख के लक्ष्य के मुकाबले 17,83,000 नए सदस्य जोड़े हैं।
- दिल्ली में भाजपा के सदस्यों की संख्या 62,28,172 हो गई है। इसे यूं भी समझ सकते हैं कि दिल्ली के कुल 1.46 करोड़ वोटर के मुकाबले 42.4 फीसदी भाजपा के सदस्य हैं।
- लोकसभा चुनाव में दिल्ली की 7 सीटों पर वोटर टर्नआउट 60.59 फीसदी था, जबकि 2015 के विधानसभा में यह टर्नआउट 67.12%था।
- वोटिंग टर्नआउट 2015 विधानसभा चुनाव की तरह 67.12 फीसदी पहुंच जाता है तो कुल 98,43,732 मतदाता अपना वोट करेंगे।
- भाजपा सदस्य संख्या को वोटों में बदल ले तो 63.27% वोट हासिल कर लेगी।
कुल वोटर के मुकाबले भाजपा की सदस्यता
कांग्रेस के 2017 के हिसाब से 7 लाख सदस्य| दिल्ली कांग्रेस हर तीन साल में संगठन चुनाव के पहले सदस्यता अभियान चलाती है। उसमें पुराने सदस्यों को भी फिर से सदस्यता पर्ची कटानी होती है। प्रदेश कांग्रेस के कार्यालय सचिव प्रमोद कुमार के मुताबिक दिल्ली में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 7 लाख है।
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