
नई दिल्ली .दिल्ली के शाहीनबाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। मंगलवार को एलजी से मिलने के बाद भी नतीजा सिफर है। इस बीच दिल्ली के मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव के दौरान शाहीनबाग इलाके में अगर कोई शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाता है तो एक्शन लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर प्रदर्शनकारी किसी अधिकारी-कर्मचारी को आने-जाने से रोकते हैं तो आयोग सख्त रुख अपनाएगा। उधर, शाहीनबाग का प्रदर्शन दो धड़ों में बंट गया है। प्रदर्शनकारियों के लीगल एडवाइजर महमूद पार्चा ने बताया कि जो महिलाएं एलजी से मिली थीं। वह आधिकारिक नहीं हैं। प्रदर्शन जारी रहेगा। शाहीनबाग में स्कूली बच्चों, स्कूल वैन और बसों को रास्ता दिया जा रहा है। लेकिन 29 जनवरी को भारत बंद का लोगों ने किया है। इस दौरान कामकाज रखेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदर्शन को लेकर भ्रामक जानकारी सोशल मीडिया पर प्रचारित करने पर हमने बीजेपी की आईटी सेल के खिलाफ केस दर्ज किया है।
इधर, प्रदर्शन में मौजूद बच्चों की काउंसिलिंग की जाए: बाल संरक्षण आयोग
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा है कि दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों में देखे गए गए बच्चों की पहचान करके उनकी काउंसिलिंग की जाए। एनसीपीसीआर ने दक्षिण पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी को आदेश जारी कर कहा है कि संभव है कि प्रदर्शन स्थल पर मौजूद रहे बच्चों को अफवाहों और गलत जानकारी के कारण मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा हो।
शाहीनबाग में प्रदर्शन को लेकर दो खेमों में बंटे प्रदर्शनकारी
प्रदर्शन में शामिल साजिद मोजिब ने कहा बताया कि शाहीनबाग में चल रहा धरना प्रदर्शन अभी खत्म हाेने वाला नहीं। क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने उपराज्यपाल की उस अपील को ठुकरा दिया है, जिसमें उन्होंने इस आंदोलन को खत्म करने की बात कही थी। लोगों का साफ कहना है जब तक नागरिकता कानून को सरकार वापस नहीं लेती, तब तक ट्रैफिक के लिए सड़क खोलने का सवाल ही नहीं। शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा। करीब सवा महीने से चल रहा यह प्रदर्शन भी दो खेमे में बंट गया है। यहां धरने पर बैठी महिलाओं ने कहा जो प्रतिनिधिमंडल उपराज्यपाल से मिला था, वह अधिकारिक नहीं है। पुलिस कुछ चुनिंदा लोगों को विश्वास में लेकर साथ ले गई थी। जिनमें तीनों बुजुर्ग महिलाओं भी शामिल हैं। यहां बीती रात जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद भी पहुंचे थे, जिन्होंने इस आंदोलन का समर्थन कर उसे आगे भी जारी रखने की बात पर जोर दिया। मंगलवार रात एक महिलाओं का समूह अचानक से सुप्रीम कोर्ट के नजदीक आकर धरने पर बैठ गया। महिलाएं हाथों में पोस्टर लिए हुए थी।
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