कैथल के मूंदड़ी में खोली गई प्रदेश की पहली संस्कृत यूनिवर्सिटी को आगे बढ़ाने के प्रयास तेज हो गए हैं। अब यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से उच्चतर शिक्षा विभाग निदेशालय हरियाणा को प्रस्ताव पत्र भेजकर प्रदेश के यूजी और पीजी की पढ़ाई कराने वाले गुरुकुलों व संस्कृत महाविद्यालयों को जोड़ने की मांग की गई है। कॉलेजों की संबद्धता होने से यूनिवर्सिटी का जहां स्टेटस बढ़ जाएगा वहीं आमदनी भी बढ़नी शुरू हो जाएगी, जिससे इस नई यूनिवर्सिटी को जल्द विकसित किया जा सकेगा।
फिलहाल बिना भवन और बिना स्टाफ के ही यूनिवर्सिटी की शुरुआत हुई है और बाल्यावस्था से यौवन अवस्था में लाने के लिए काफी इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है। प्रदेश में करीब 70 गुरुकुल/ पाठशालाएं व संस्कृत महाविद्यालय हैं। इनमें से करीब 40 से अधिक संस्थानों में संस्कृत भाषा में स्नातक व स्नातकोत्तर कोर्सेज की पढ़ाई कराई जाती है। पंचकुला के श्री माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय की ओर से यूनिवर्सिटी को संबद्धता बारे लेटर भेजा है। इसमें कहा गया है कि जल्द ही संबद्धता के संबंध में बताया जाए ताकि चालू सत्र में महाविद्यालय में विद्यार्थियों के प्रवेश हो सकें।
किराए के भवन में लगानी पड़ रही कक्षाएं| सीएम मनोहरलाल ने 24 अक्टूबर 2015 को कैथल के सेक्टर-19 ग्राउंड में आयोजित प्रदेश स्तरीय वाल्मीकि जयंती महोत्सव में जिला के गांव मूंदड़ी में करीब 150 करोड़ की लागत से महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की थी। मूंदड़ी ग्राम पंचायत द्वारा यूनिवर्सिटी बनाने के लिए लवकुश तीर्थ के समीप पंचायती जमीन में से करीब साढ़े 20 एकड़ भूमि सरकार को दी गई है। वर्ष 2018 तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थी।
इसके बाद 13 अगस्त 2018 को सरकार ने डाॅ. श्रेयांश द्विवेदी को यूनिवर्सिटी का प्रथम वाइस चांसलर नियुक्त किया। इसके बाद महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय मूंदड़ी का निर्माण शुरू कराने के लिए 3 मार्च 2019 को सीएम ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शिलान्यास किया। चारदीवारी निर्माण के लिए बाकायदा 8 करोड़ की राशि जारी करने को कहा था लेकिन आज तक यूनिवर्सिटी की चारदीवारी तक नहीं बन पाई है। ऐसे में किराए के भवन में राजकीय कॉलेज कैथल के कमरों में यूनिवर्सिटी की कक्षाएं लगानी पड़ रही हैं। पिछले दिनों यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से यूनिवर्सिटी की जमीन पर हरियाली बढ़ाने के लिए पौधारोपण कराया है।
संस्कृत यूनिवर्सिटी में इन विषयों की कराई जा रही पढ़ाई
संस्कृत यूनिवर्सिटी में पिछले जुलाई 2019 से पहले सत्र का शुभारंभ किया गया था। इस समय यूनिवर्सिटी में नियमित पाठ्यक्रम के तहत शास्त्री (बीए)- वेद, धर्मशास्त्र, व्याकरणम, ज्योतिष, साहित्य, दर्शन, पुराणोतिहास, अंग्रेजी व हिंदी आदि विषय की पढ़ाई कराई जा रही है। इसके अलावा आचार्य (एमए): वेद, धर्मशास्त्र, व्याकरणम, ज्योतिष, साहित्य, दर्शन व पुराणेतिहास विषयों की पढ़ाई कराकर छात्र-छात्राओं को संस्कृत का ज्ञान दिया जा रहा है। नए सत्र से संस्कृत पत्रकारिता में पीजी की पढ़ाई समेत कई नए कोर्सेज भी शुरू किए गए हैं।
प्रदेश के सभी संस्कृत महाविद्यालयों, गुरुकुलों जो यूजी और पीजी की पढ़ाई कराते हैं, को एमवीएस यूनिवर्सिटी से जोड़ने के लिए उच्चतर शिक्षा निदेशालय को प्रस्ताव पत्र भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही संबद्धता को लेकर मंजूरी मिल जाएगी, इससे यूनिवर्सिटी जल्द विकसित हो जाएगी और विद्यार्थियों को लाभ पहुंचेगा। यूनिवर्सिटी का मकसद प्रदेश में संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के साथ युवाओं का भविष्य उज्ज्वल बनाने का है। डाॅ. श्रेयांश द्विवेदी, वाइस चांसलर, एमवीएसयू।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3kPXivP