नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी के अंतर्गत हर प्रॉपर्टी की यूनिक आईडी बनेगी। इसकी प्लेट हर प्रॉपर्टी पर चस्पा की जाएगी, ताकि प्रॉपर्टी टैक्स के बिल समय पर सही जगह पहुंचे। यही नहीं, हर प्रॉपर्टी की जियो टैगिंग भी होगी, जिसके लिए बेस मैप तैयार करने के लिए प्रॉपर्टी सर्वे चल रहा है, जो बीते वर्ष तीन माह की समय अवधि के तीन माह एक्सटेंड होने पर भी 93 फीसद ही पूरा हो पाया। शेष प्रॉपर्टी समेत जिनकी डिटेल जांच में गलत मिली, उनका इसी माह से कंपनी दोबारा सर्वे करेगी। पूरा डॉटा सॉफ्टवेयर पर ऑनलाइन फीड होने के बाद तैयार बेस मैप पर हर प्रॉपर्टी की यूआईडी व जियो टैगिंग होगी। मैप पर हर प्रॉपर्टी के वास्तविक स्थान चिह्नित होने से आईडी डालते ही लोकेशन सहित प्रॉपर्टी व उसके मालिक की वेरिफिकेशन हो सकेगी।
नगर निगम की ओर से दो वर्ष पहले ड्रोन मैपिंग का काम पूरा किया जा चुका है, लेकिन इसके आगे शहर का बेस मैप तैयार करने के लिए प्रॉपर्टी का ऑनलाइन सर्वे पूरा नहीं हो पाया है। ये काम यशी कंसलटिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। दो वर्षों में सर्वे पूरा न होने की वजह कंपनी के कर्मचारी डोर टू डोर फिजिकल वेरिफिकेशन में काफी प्रॉपर्टी मालिकों द्वारा जानकारी न देना बताया गया। कंपनी से यमुनानगर में सर्वे का काम देख रहे सुपरवाइजर मनीष कुमार की मानें तो बीते वर्ष तक 93 फीसद सर्वे हो चुका है। काफी प्रॉपर्टी की डिटेल जांच में गलत भी मिली है। इनका सर्वे इसी माह शुरू कर रहे हैं, जिसके लिए कंपनी ने जिले के ही 136 सक्षम युवाओं को सर्वेयर के तौर पर रखा है।
डिटेल न देने या गलत देने पर खुद देने जाना पड़ेगा निगम| कंपनी ने सभी 136 सर्वेयर को आई कार्ड दिए हैं। सर्वेयर ट्रेनिंग के बाद अगले सप्ताह से काम शुरू करेंगे। डोर टू डोर जाकर प्रॉपर्टी मालिक का नाम, आधार व मोबाइल नंबर, प्रॉपर्टी में कितने फ्लोर हैं, वह रिहायशी, व्यवसायिक व इंडस्ट्रियल में किस कैटेगरी में हैं, ये जानकारी सर्वेयर मोबाइल सॉफ्टवेयर में फीड करेंगे। निगम अफसरों की मानें तो बीते वर्ष में कई प्रॉपर्टी मालिकों ने डिटेल नहीं दी या गलत दी। उनके लिए यह आखिरी मौका है, जिसके बाद उन्हें खुद निगम आकर डिटेल देनी होगी। अन्यथा शोकॉज नोटिस व जुर्माने की कार्रवाई होगी।
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