
देश में पिछले 30 सालों में लोगों की उम्र 10 साल बढ़ गई है। 1990 में भारतीयों की औसत उम्र 59.6 वर्ष थी, जो 2019 में बढ़कर 70.8 साल हो गई है। इसके अलावा संक्रामक रोगों में भी कमी आई है। लैंसेट जर्नल ने शुक्रवार को जारी स्टडी में इसका खुलासा किया है। हालांकि, देश के कई राज्यों में लोगों की उम्र (जीने की आरजू) में बड़ा अंतर देखा गया है। जैसे- यूपी में लोगों की औसत उम्र 66.9 साल है, तो केरल में यह औसत 77.3 साल है।
वाॅशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑफ ग्लोबल हेल्थ अली मोकदाद कहते हैं कि भारत सहित हर देश में जो प्रमुख सुधार देखा गया है, वह है संक्रामक रोगों में कमी आना और क्रॉनिक बीमारियों में बढ़ोतरी होना। भारत में गर्भावस्था और प्रसव के दौरान बड़ी संख्या में मौतें होती थीं, लेकिन अब इनमें कमी आई है। दिल की बीमारियां पहले पांचवे नंबर पर थीं पर अब ये पहले नंबर पर आ गई हैं। कैंसर की दर भी बढ़ रही है।

माताओं और शिशुओं का कुपोषण अभी भी बीमारी और मौत का नंबर वन जोखिम कारक बना हुआ है। अध्ययनकर्ताओं में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ गांधीनगर के श्रीनिवास गोली ने कहा कि देश में लोगों की औसत उम्र बढ़ी है, लेकिन सेहतमंद जिंदगी के मामले में लोग पिछड़ गए हैं। बीमारी उनका पीछा नहीं छोड़ रही। इस अध्ययन में दुनिया के 204 देशों में मौतों के 286 से ज्यादा कारणों और 369 बीमारियों का पता लगाया गया।
वैज्ञानिकों के मुताबिक देश में पिछले साल सबसे ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण से हुई हैं। हाई ब्लड प्रेशर, तंबाकू का उपयोग और वायु प्रदूषण की वजह से लोग कोरोना जैसी बीमारियों से लड़ने में कमजोर होते जा रहे हैं। पिछले 30 सालों के दौरान बढ़े मोटापे, हाई ब्लड प्रेशर, वायु प्रदूषण ने कोविड-19 से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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