
प्रदेश के सरकारी स्कूलों के 23 विद्यार्थियों ने जेईई एडवांस की परीक्षा पास की है। इनमें एससी कैटेगरी के 8, ओबीसी के 9 और सामान्य श्रेणी के 6 स्टूडेंट्स शामिल हैं। सिरसा से प्रवीन ने एससी कैटेगरी में ऑल इंडिया में 434 रैंक हासिल की है, जबकि ओबीसी कैटेगरी में फतेहाबाद की काजल ने ऑल इंडिया में 293 रैंक पाई है।
उल्लेखनीय है कि इन विद्यार्थियों का सुपर-100 के तहत चयन हुआ था, जिनका चयन हुआ है, उनमें से कइयों का कहना है कि कभी सोचा भी नहीं था कि आईआईटी में प्रवेश हो जाएगा। शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर का कहना है कि राजकीय स्कूलों के विद्यार्थियों ने जो मुकाम हासिल किया है, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। शिक्षा विभाग की मेहनत रंग लाई है। अबकी बार से सुपर-700 कर दिया गया है, ताकि अधिक संख्या में विद्यार्थी इस परीक्षा में प्रवेश कर सकें।
स्टूडेंट्स को ये दी सुविधाएं
वर्ष 2018 में सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए जेईई व एनईईटी की प्रवेश परीक्षा के लिए सुपर-100 कार्यक्रम किया था। इसमें 80 फीसदी से ज्यादा अंक लेकर 10वीं पास करने वाले स्टूडेंट्स का टेस्ट लिया। रेवाड़ी-पंचकूला में कोचिंग दी गई। इसमें ठहरने, खाने-पीने, हॉस्टल, स्टेशनरी, ट्रांसपोर्ट, मॉक टेस्ट आदि का खर्च सरकार ने वहन किया। विद्यार्थियों को सरकार ने सपोर्ट किया।
ये बोले विद्यार्थी
10वीं करने के बाद आईआईटी के बारे में पता नहीं था। शिक्षा विभाग ने तैयारी कराई, रोजाना छह घंटे कक्षा लगती थी, कुल मिलाकर12 घंटे पढ़ाई की, न फोन था न ही टीवी। मनोरंजन के लिए बैडमिंटन, क्रिकेट खेलते थे। अब इंजीनियर बनकर देश सेवा करनी है। -प्रवीन, सिरसा
किसान की बेटी हूं, 10वीं तक आईआईटी के बारे में नहीं सोचा था। रोजाना 13 घंटे तक पढ़ाई की। लॉकडाउन में मोबाइल पर क्लास लगती थी। अब बहुत खुश हूं और टीचर्स ने खूब मेहनत कराई है। मौका मिले तो सरकारी स्कूलों के छात्र भी मुकाम पा सकते हैं। -काजल, फतेहाबाद
दसवीं में 90 फीसदी अंक आए थे। आईआईटी की तैयारी के लिए रोजाना छह से आठ घंटे कक्षा लगती थी, रोजाना 14 से 15 घंटे पढ़ते थे। वालीबॉल खेलते थे, कोरोना कॉल में मोबाइल पर ऑनलाइन स्टडी की। लेक्चर बनाकर भेजते थे। पापा खेती करते हैं, अब आईआईटी कर आईएएस बनना है। -राहुल, जींद
यूं बनी थी कार्यक्रम की योजना : वर्ष 2018 में सेकेंडरी शिक्षा विभाग के निदेशक राजीव रत्न व मौलिक शिक्षा विभाग के निदेशक राज नारायण की तमन्ना थी कि सरकारी स्कूलों के बच्चे भी आईआईटी में प्रवेश करें। इसके बाद प्राेग्राम डिजाइन किया गया। शिक्षा विभाग के तत्कालीन एसीएस पीके दास ने अमलीजामा पहनाया।
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