
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के प्लॉट आवंटन में बड़ी धांधली सामने आ रही है। ऑस्टीज कोटे में अलॉटमेंट का एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है। अफसरों ने मिलीभगत कर ऑस्टीज कोटे में सेक्टर-12 में प्लॉट अलॉट किए दिए, जबकि आवेदन सेक्टर-18 के लिए किए गए थे।
गाैरतलब है कि सीएम ने रिसालू की एक महिला कमला देवी के नाम से 500 वर्ग गज का एक प्लॉट देने की स्वीकृति दी, अफसरों ने इसकी आड़ में 5 और लोगों को सेक्टर-12 में फर्जी तरीके से प्लॉट अलॉट कर दिए। 2019 में अलॉटमेंट भी 2007-08 की रेट पर कर एचएसवीपी को 15.40 करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया।
पूर्व पार्षद जोगेंद्र स्वामी की शिकायत पर एचएसवीपी के मुख्य प्रशासक पंकज यादव ने एचएसवीपी के मुख्य सूचना एवं प्रौद्योगिकी अफसर संजय शर्मा से खुद जांच करने को कहा है। इसमें भी मुख्य रूप से तत्कालीन ईओ योगेश रंगा पर ही आरोप हैं। इस केस में रिसालू के हिस्सेदारों में से संजय और उनकी मां रोशनी की याचिका पर हाईकोर्ट ने एचएसवीपी के ईओ समेत संबंधित पटवारियों व अफसरों को नोटिस भी जारी किया है।
अफसर-दलाल कमाते हैं
सेक्टर-12 में 2007-08 में रेट 6439 रुपए प्रति वर्ग गज थी। 2018-19 में रेट 63,000 रुपए प्रति वर्ग गज थी। 6439 रुपए की रेट के एचएसवीपी से विभाग को 1.75 करोड़ रुपए मिले। वर्तमान रेट 63,000 रुपए पर देते तो एचएसवीपी को 17.15 करोड़ रुपए मिलते। इस तरह से 15.40 करोड़ रुपए बच गए। यहीं कमाई होती है।
केस का ताजा स्टेटस
हाईकोर्ट में केस चल रहा है। 10 दिसंबर को अगली सुनवाई है। ईओ सहित केस से जुड़े पटवारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने पूछा- 2008 में जमीन कम होने के कारण आवेदन रद किया तो फिर 2019 में जमीन कैसे बढ़ी कि कमला देवी के नाम प्लॉट अलॉट कर दिया।
डायरेक्शन पर दिए प्लॉट
ऊपर से मिले डायरेक्शन के पर ही 8 प्लॉट अलॉट किए गए। कोई धांधली नहीं हुई है। सेक्टर-18 की जगह सेक्टर-12 में क्यों प्लॉट दिया, यह भी कमेटी के लोग बता सकते हैं। मैं कमेटी में था, लेकिन याद नहीं। रेट भी 2007-08 का ही लेने का आदेश था। -योगेश रंगा, तत्कालीन ईओ, एचएसवीपी, पानीपत
अलॉटमेंट में ये 6 तरह की अनियमिताएं बरतने का लगाया आरोप
- सीएम ने कमला को 500 वर्ग गज का प्लॉट देने की मंजूरी दी। अफसरों ने 302.50 वर्ग गज के दो प्लॉट कमला देवी को अलॉट करने के साथ 5 और लोगों को 6 प्लॉट अलॉट कर दिए। अफसरों ने 2007-08 की रेट पर अलॉट कर 15.40 करोड़ का नुकसान पहुंचाया।
- कमला, जसबीर आदि ने सेक्टर-18 के लिए आवेदन दिए थे, अफसरों ने शहर के सबसे महंगे सेक्टर-12 में 8 प्लॉट अलॉट कर दिए। यहां भी धांधली हुई।
- 16 मई 2019 को प्लॉट अलॉट किए गए। 25 दिनों के बाद ही री-अलॉट कर दिए गए। कमला देवी के नाम 16 मई को जो प्लॉट अलॉट हुआ वह 13 जून को ही मॉडल टाउन के सतबीर के नाम से री-अलॉट कर दिया गया। जसबीर को जो प्लॉट अलॉट हुआ वह 13 जून को ही उग्राखेड़ी के सुरेंद्र के नाम री-अलॉट कर दिया गया।
- नियमों के तहत किसी खेवट में जितने जमीन देने वाले हैं। उनमें से सिर्फ एक आवेदन कर सकता है, लेकिन प्लॉट के अलॉटमेंट में सभी हिस्सेदारों के नाम होंगे। इनमें ऐसा नहीं हुआ। कमला देवी के केस में रिसालू के संजय व मां रोशनी हाईकोर्ट चली गईं। जिस केस में हाईकोर्ट ने अफसरों से जवाब मांगा है।
- मिनी ड्राॅ एचएसवीपी के राेहतक प्रशासक के यहां होता है। आरटीआई से मिली सीडी के आधार पर पता चला है कि वहां हुए ड्रॉ में अलॉटी शामिल ही नहीं थे। उनकी जगह पर प्रॉपर्टी डीलर शामिल थे, जो पहले ही प्लॉट ले चुके थे।
जिसका आवेदन 2008 में रद्द किया, उसके लिए अनुमति लेकर किया गाेलमाल
जिसका आवेदन 2008 में रद्द किया, उसके लिए अनुमति लेकर किया गाेलमाल16 मई 2019 को एचएसवीपी ने सेक्टर-12 में कमला देवी, जसबीर मलिक सहित 6 लोगों को 8 प्लॉट अलॉट कर दिए। आरोप है कि सीएम ने 1 मार्च 2019 को सिर्फ कमला देवी के नाम से 500 वर्ग गज का एक प्लॉट देने की स्वीकृति दी। एचएसवीपी के अफसरों ने इसी लेटर की आड़ में 5 और लोगों को प्लॉट अलॉट कर दिए।
यहीं मामला विधानसभा चुनाव से पहले दुष्यंत चौटाला ने उठाया था। एचएसवीपी ने 2008 में कमला देवी का आवेदन यह कहकर रद कर दिया कि उसकी एक्वायर जमीन का रकबा कम है। लेकिन अफसरों ने 11 साल बाद 2019 में फर्जी तरीके से कमला देवी के नाम सीएम से स्वीकृति ले ली।
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