
शहर के सालवन चौक पर किसानों ने 3 कृषि कानूनों के विरोध में दशहरा पर पीएम का पुतला फूंककर रोष जताया। किसानों ने प्रधानमंत्री और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। रविवार को अखिल भारतीय किसान सभा, भाकियू, हरियाणा किसान सभा सहित अन्य संगठनों के संयुक्त नेतृत्व में किसानों ने किसान एकता मंच के बैनर तले शहर में रोष प्रदर्शन निकाला।
क्षेत्र के दर्जनों किसान नई अनाज मंडी में चल रहे धरना स्थल पर पहुंचे और केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि अध्यादेश को किसान विरोधी करार दिया। किसान नेता छत्रपाल सिंधड़, जोगिंद्र झींडा, कुलदीप राणा, रामकुमार पीटीआई, सुखविंद्र झब्बर ने कहा कि कृषि अध्यादेश किसानों के लिए काला कानून है और इसकी वापसी तक देश का किसान अपना संघर्ष जारी रखेगा।
उन्होंने कहा कि 5 अक्टूबर को दिल्ली का घेराव किया जाएगा और भारत बंद के दिन हरियाणा के किसान अपनी जान लगा देंगे। बाद में जुलूस की शक्ल में किसानों ने नरेंद्र मोदी के पुतले की शवयात्रा निकाली और सालवन चौक में पुतले का दहन किया। पुतले में किसानों द्वारा दीवाली पर चलाए जाने वाले पटाखे भी फिट किए हुए थे। सुरक्षा के लिहाज से असंध थाना प्रभारी जगबीर सिंह व तहसीलदार नवजीत कौर बराड़ पुलिस बल सहित मौके पर मौजूद रहे।
तीनों अध्यादेश को भाकियू ने काला कानून बताया
तीन कृषि कानूनों से भारतीय किसान यूनियन में रोष है। कृषि कानूनों के विरोध में भाकियू ने दशहरे पर नई अनाज मंडी मार्केट कमेटी कार्यालय के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका और नारेबाजी की। तीनों कानूनों को भाकियू ने काला कानून बताया है। भाकियू का कहना है कि सरकार ने एक अहंकारी तरीके से तीनों कानूनों का लागू किया है और कोई भी किसान इन कानूनों के पक्ष में नहीं है। भाकियू ने चेताया कि यदि सरकार ने समय रहते कृषि कानूनों को वापिस नहीं लिया तो भाकियू बड़े फैसले लेने पर मजबूर होगी।
रविवार को भाकियू के जिला महासचिव जगदीप औलख की अध्यक्षता में किसान मार्केट कमेटी कार्यालय के गेट पर एकत्रित हुए। जिला अध्यक्ष अजय राणा, महासचिव जगदीप ओलख, सुक्रमपाल बैनीवाल व अन्य किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कृषि कानूनों के विरोध में रोष जताया। यूनियन के पदाधिकारियों और किसानों ने पीएम नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका। अजय राणा व जगदीप सिंह ने बीजेपी को किसान विरोधी सरकार करार दिया। उन्होंने कहा कि पिछले 3 माह से तीनों कृषि कानूनों का विरोध चल रहा है। बावजूद इसके सरकार ने किसानों पर तीनों कानूनों को थोप दिया। उन्होंने कहा कि धान की फसलें एमएसपी से नीचे बिक रही है।
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