
देश के 20 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल होने वाले जींद शहर की आबो-हवा एक बार फिर खराब हो रही है। कार्बन मोनोआक्साइड (सीओ) जैसी जहरीली गैसें भी अपनी मानक मात्रा से डबल हो गई हैं, तो वहीं, सल्फर आक्साइड खतरे के निशान को पार करने वाली है। वहीं जिले में अब तक 309 स्थानों पर पराली जलाई जा चुकी है। किसी भी शहर की आबो हवा वहां की एयर क्वालिटी इंडेक्स से तय की जाती है।
इसमें सल्फर आक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड, नाइड्रोजन आक्साइड, अमोनिया व ओजोन गैसों के साथ सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मेटर 10, 2.5 और लैड की मात्रा को चेक किया जाता है। इन आठों की मात्रा के आधार पर तय किया जाता है कि संबंधित क्षेत्र की हवा सांस लेने लायक है या नहीं। वहीं 24 घंटे के दौरान केवल लैड को छोड़कर अब जींद शहर की आबो-हवा में पांचों गैसें ज्यादा या कम मात्रा में मौजूद है। वहीं सस्पेंडिड पर्टिकुलेट मेटर 10 और 2.5 तो लगातार एक सप्ताह से खतरे के निशान से ऊपर ही चल रहे हैं। अगर यहीं हालात रहे तो नवंबर में बढ़ने ने वाली ठंड के साथ यह गैसें रोगियों के साथ-साथ स्वस्थ लोगों के स्वास्थ्य को खराब करने की ताकत रखती है।
कृषि विभाग ने 3 लाख 10 हजार रुपए वसूला जुर्माना
कृषि विभाग के अनुसार जिले में अब तक 309 जगहों पर पराली जलाई है। पराली जलाने वाले लोगों से अब तक विभाग ने 3 लाख 10 हजार रुपए का जुर्माना भी वसूला है।
हवा में गैसों की मात्रा बढ़ना खतरे का संकेत है। फिलहाल तापमान ज्यादा नहीं है लेकिन आगे बहुत कम होगा जिससे सांस के रोगियों, कैंसर के रोगियों और अस्थमा के रोगियों की संख्या बढ़ेगी। -डॉ. प्रवीण गुप्ता, फिजीशियन, दिल्ली अस्पताल, जींद
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