कोरोना महामारी के चलते अभी तक जिले के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी नहीं जा पाए है। केवल 9 से 12 के विद्यार्थियों को परामर्श लेने के लिए ही बुलाया जा रहा है। अध्यापक विद्यार्थी को ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। अब नवंबर में भी स्कूल खुलने की केवल संभावनाएं ही बनी हुई है। जबकि नंवबर में दिवाली का त्योहार शुरू हो जाते है।
ऐसे में स्कूल खुलेंगे या नहीं अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जबकि राजकीय स्कूलों के विद्यार्थियों को दी जा रही ऑनलाइन शिक्षा को लेकर पिछले माह हुई ई-पीटीएम के माध्यम से जिला स्तर पर शिक्षा विभाग की ओर से विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिक्षा को लेकर रिपोर्ट तैयार की गई है। ई-पीटीएम की रिपोर्ट में राजकीय स्कूल के 80 हजार 850 अभिभावकों ने हिस्सा लिया था।
इनमें 65 प्रतिशत यानी 52 हजार 344 अभिभावकों ने कहा कि यदि स्कूल फिर से खुलते हैं तो वे अपने बच्चों को स्कूल में भेजने के लिए सहमत हैं। जबकि 16 प्रतिशत यानि 13 हजार 17 अभिभावक अपने बच्चों को भेजना नहीं चाहते हैं। इसके अलावा 19 प्रतिशत यानि 15 हजार 489 अभिभावक शायद ही भेज सकते हैं।
स्कूलों की ओर से मोबाइल के जरिए दी जाने वाली ई-लर्निंग को लेकर 17.27 प्रतिशत विद्यार्थी यानि 13 हजार 963 विद्यार्थी के पास स्मार्ट फोन नहीं है। 81 प्रतिशत विद्यार्थियों को ई-लर्निंग के लिए स्मार्ट फोन उपलब्ध है। जबकि इनमें 1.17 प्रतिशत यानि की 946 विद्यार्थी ऐसे है जो बिलकुल ही फोन ही नहीं रखते है। घर से पढ़ाओ अभियान में 80.92 प्रतिशत अभिभावक व विद्यार्थी शिक्षा से संतुष्ट । जबकि 15.18 प्रतिशत असंतुष्ट है, 3.91 प्रतिशत से घर से पढ़ाओ अभियान के बारे में ही नहीं पता है।
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