
शहीद भगत सिंह खेल स्टेडियम में करीब 7 करोड़ रुपये की लागत से बने एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान में की कृत्रिम घास उखड़ गई है। ग्राउंड में समुचित तरीके से पानी का छिड़काव नहीं हो पा रहा। जिस कारण खिलाड़ी भी चोटिल हो रहे हैं। मैदान की हालत इतनी खस्ता है कि खिलाड़ी प्रैक्टिस करने भी कम पहुंच रहे हैं। मैदान में लगे फव्वारे खराब हो चुके हैं। पानी की पाइपें जर्जर हालत में हो चुकी हैं। जालियां टूटने से मैदान खराब हो चुका है।
गोल पोस्ट भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। मैदान में फव्वारे नहीं चलने से हॉकी खिलाड़ी अभ्यास भी नहीं कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं सूखा रहने के कारण टर्फ भी अब फट कर बिखरने लगा है। शहीद भगत सिंह स्टेडियम में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 12 अप्रैल 2008 को एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान का शिलान्यास तथा 25 दिसंबर 2010 को उद्घाटन किया था।
मैदान की संभाल न होने के चलते इस मैदान की दुर्गति हो चुकी है। मैदान में लगा टर्फ यानी कृत्रिम घास सूख चुकी है। पानी न मिलने के कारण खिलाड़ियों को सूखी घास पर ही प्रैक्टिस करनी पड़ती है। जगह-जगह मैदान में टर्फ फटकर और घिसकर खराब हो चुका है। इसके अतिरिक्त मैदान में कृत्रिम घास पर पानी डालने के लिए लगाए गए फव्वारे टूट चुके हैं। गोल पोस्ट के पोल और जालियां भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं।
हॉकी एस्ट्रोटर्फ मैदान पर सुबह-शाम करीब 100 खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। मैदान में बंद पड़े फव्वारों के कारण खिलाड़ियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। मैदान गीला नहीं होने से इस पर खेलने से खिलाड़ी चोटिल हो जाते हैं। खिलाड़ियों का कहना है कि कई बार अधिकारियों को इस बारे अवगत करवाया गया है। लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। उन्होंने कहा कि मैदान की सिर्फ 7 या 8 साल मियाद होती है। इसके बाद नया मैदान तैयार होता है। लेकिन इस मैदान को बने हुए 10 वर्ष पूरे होने को हैं। जगह-जगह से मैदान खराब हो चुका है।
टर्फ स्पेशल हॉकी खिलाड़ियों के लिए ही है
हॉकी कोच सुरेंद्र जीत सिंह ने कहा कि यदि खिलाड़ी इसी प्रकार लगातार सूखे एस्ट्रोटर्फ हाकी मैदान पर प्रैक्टिस करते रहे तो उनके घुटनों में दर्द की शिकायत सामने आ सकती है। कइयों के घुटनों में दर्द भी हो रहा है। प्रैक्टिस दौरान कई खिलाड़ी चोटिल भी हो चुके हैं। टर्फ की खास बात यह है कि यह स्पेशल हॉकी खिलाड़ियों के लिए है और इसे गीला ही रहना चाहिए। यदि यह घास सूखी तो लाभ देने की बजाय नुकसान देने लगती है। फव्वारे टूटे चुके हैं और गोल पोस्ट के पोल और जालियां भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
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