
प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद किसान फसल अवशेषों में आग लगाने से बाज नहीं आ रहे है। किसान फानों में आग लगाकर जिला प्रशासन के नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। हालांकि प्रशासन द्वारा नियम तोड़ने वाले किसानों पर जुर्माना भी किया जाता है और जुर्माना अदा न करने पर कानूनी कार्रवाई भी की जाती है। बावजूद इसके किसान फसल अवशेषों में आग लगा रहे है। ऐसा ही नजारा शुक्रवार को कस्बे के पनौड़ी रोड व आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। जहां किसान नियमों को ताक पर रखकर फानों में आग लगाकर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं।
कृषि अधिकारियों की माने तो फसल अवशेषों में आग लगाना खुद को नुकसान पहुंचाना है। खेत में आग लगने से मित्र किट मर जाते है। भूमि का उपजाऊपन क्षीण हो जाता है। फानों में आग लगाने से प्रदूषण की समस्या बढ़ती है। यह वायु प्रदूषण वातावरण की निचली सतह पर एकत्रित होता है, जिसका सीधा प्रभाव आबादी पर होता है।
इस प्रकार का प्रदूषण दूरगामी इलाकों एवं विस्तृत क्षेत्रों में हवा द्वारा फैलता है, जिसका नियंत्रण हमारे वश में नहीं है। खंड कृषि अधिकारी डॉ. राहुल दहिया के अनुसार, जो भी किसान फसल अवशेषों में आग लगाता है उसकी लोकेशन हरसेक सैटेलाइट से उनके पास पहुंच जाती है बाद में उस लोकेशन की पहचान कर संबंधित किसान पर जुर्माना लगाया जाता है या फिर एफआईआर दर्ज करवाई जाती है।
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