
गोवंशों के बाद अब शहर में बंदर व कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है। प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। बंदरों द्वारा काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। साथ ही डॉग बाइट के केस भी बढ़ने लगे हैं। प्रति माह सवा सौ के करीब डॉग बाइट के मरीज एंटी रेबिज टीका लगवाने के लिए सिविल अस्पताल में आ रहे हैं। 15-20 मरीज मंकी बाइट के हैं।
एक तरफ शहर में बेसहारा पशु लोगों के लिए सिरदर्द और जान को खतरा बन रहे हैं। मेन रोड ही नहीं, हर गली मोहल्ले में पशुओं का जमावड़ा रहता है। मार्केट कमेटी के मैदान में बनाई गई गोशाला में इन गोवंशों को रखा जा रहा है। लेकिन अभी भी शहर में काफी गोवंश हैं। दूसरी ओर कुत्तों का आतंक हर गली मोहल्ले में है। बंदरों का उत्पात अब बढ़ता जा रहा है।
सिविल अस्पताल में एंटी रेबिज की सप्लाई बेहद कम
एक तरफ मंकी बाइट, डॉग बाइट के केस बढ़ रहे हैं, वहीं सिविल अस्पताल में एंटी रेबिज टीके उपलब्ध नहीं रहते। यहां जो सप्लाई आ रही है वह बेहद ही कम है। अधिकांश समय यहां पर टीके उपलब्ध नहीं रहते। जिससे मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में जाकर टीके लगवाने पड़ रहे हैं। जो सिविल अस्पताल की अपेक्षा चार गुणा महंगे हैं। सिविल अस्पताल में बीपीएल कार्ड धारकों के लिए एंटी रेबिज टीके मुफ्त हैं। अन्य से 100 रुपए प्रति टीके लिए जाते हैं। एक मरीज को अधिकतम 5 बार टीके लगवाने होते हैं।
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