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Sunday, 11 October 2020

हाेम आइसोलेशन में रहे मरीजों की न जांच की न ही डिस्चार्ज सर्टिफिकेट दिया, संक्रमण का बढ़ा खतरा

आईसीएमआर की ओर से होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के लिए बनाई गाइडलाइंस की वजह से उलझन बनी हुई है। अभी हाेम आइसोलेशन में 17 दिन का पीरियड पूरा करने वाले मरीजों को स्वास्थ्य विभाग मौखिक तौर पर स्वस्थ घोषित कर रहा है। मरीज खुद सिविल अस्पताल या पीजीआई जाकर दोबारा कोरोना टेस्ट करा रहे हैं और अपना डिस्चार्ज सर्टिफिकेट हासिल कर रहे हैं। लेकिन हर मरीज के लिए ये बाध्यता नहीं है।

ऐसे में अगर पीरियड पूरा करने तक भी किसी मरीज में संक्रमण वायरस रहता है तो उसके होम आइसोलेशन से बाहर निकलने पर खतरा बनता है। जिले में अब तक कुल 6620 कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं। इनमें से 5891 मरीज रिकवर हो चुके हैं। रिकवर करने वालों में 3800 से ज्यादा होम आइसोलेशन में रह चुके मरीज हैं जिनमें माइल्ड वायरस की पुष्टि हुई थी।

इन मरीजों ने 17 दिन की अवधि का होम आइसोलेशन पीरियड पूरा किया और हेल्थ वर्करों की ओर से उन्हें स्वस्थ बताकर आइसाेलेशन से बाहर आने की मौखिक अनुमति दे दी गई। सिविल सर्जन कार्यालय की ओर से इन मरीजों का न तो दाेबारा सैंपल टेस्ट किया गया और न ही इन मरीजों को आइसोलेशन से बाहर आने का डिस्चार्ज सर्टिफिकेट दिया गया।

अभी भी संभलना जरूरी, क्योंकि जिले में 638 मरीज होम आइसोलेट
स्वास्थ्य विभाग और जनता के लिए अभी भी संभलना बेहद जरूरी है। क्योंकि जिले में वर्तमान समय में 638 कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में हैं। स्वास्थ्य विभाग को इसलिए संभलना जरूरी है क्योंकि अब जो भी मरीज आइसोलेशन पीरियड पूरा करके बाहर आए, इससे पहले उसका दोबारा से सैंपल टेस्ट कराकर निगेटिव रिपोर्ट का पता किया जाए। जिले के सिविल सर्जन को डिस्चार्ज होने वाले मरीजों का दोबारा सैंपल टेस्ट कराने और डिस्चार्ज सर्टिफिकेट अनिवार्य तौर पर दिए जाने की पहल करनी होगी वहीं जनता को बाहर निकलने पर मास्क लगाकर सावधानी बरतने की जरूरत है। ताकि वो भी किसी एसिंप्टोमेटिक कोरोना मरीज के संपर्क में आकर कोविड पॉजिटिव न हो जाएं।

खामी इसलिए : क्योंकि संक्रमण खत्म हुआ या नहीं, होम आइसोलेशन वाले मरीजों में 17 दिन में भी पता नहीं चल पाता।
खतरा इसलिए : जब तक इन मरीजों में दोबारा से लक्षण आएंगे, तब तक ये मरीज कई लोगों से मिल चुके होंगे।
सिस्टम संक्रमित : क्योंकि होम आइसोलेशन वाले मरीजों का न दोबारा टेस्ट किया जा रहा और न ही डिस्चार्ज सर्टिफिकेट दिए जा रहे।

ये है गाइडलाइन

  • होम आइसोलेशन में मरीज का तापमान, पल्स रेट, ऑक्सीजन सेचुरेशन की रिकार्डिंग फील्ड पर तैनात हेल्थ वर्कर करेंगे।
  • डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ जांच के बाद इन मरीजों को अटेंडेंट की मौजूदगी में दवाएं देंगे।
  • डॉक्टर हाइड्रोक्सीक्लोरोवीन की डोज मरीज के अटेंडेंट को देंगे।
  • मरीज की निगरानी रैपिड रिस्पांस टीम और इंसीडेंट कमांडर करेगा।
  • टीम में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ रहेगा।
  • मरीज की देखभाल के लिए घर में एक अटेंडेंट होने पर संबंधित को होम आइसोलेट की अनुमति होगी।

एक्सपर्ट व्यू
सरकार व स्थानीय प्रशासन चाहे तो डिस्चार्ज करने से पहले मरीज का कोविड टेस्ट की व्यवस्था लागू कर सकता है। आईसीएमआर की गाइडलाइंस देशव्यापी सैंपलिंग, टेस्टिंग और इलाज को ध्यान में रखकर बनाई गई है। गाइडलाइन में 10 दिन से ज्यादा समय से अस्पताल में भर्ती मरीज की सेहत की निगरानी कुछ लक्षणों के आधार पर करने के बाद बिना कोविड टैस्ट कराए डिस्चार्ज कराने की सिफारिश की गई है। इसे मानना अनिवार्य नहीं है। राज्य सरकार या स्थानीय प्रशासन चाहे तो होम आइसोलेशन के प्रत्येक मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले उसकी रिपोर्ट कोविड निगेटिव होने की व्यवस्था लागू कर सकता है। -डॉ. संदीप कुमार, सदस्य, आईसीएमआर रिसर्च एडवाइजरी ग्रुप।



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पीजीआई ट्रामा सेंटर के पास काेराेना जांच करने के लिए बनाया सेंटर।


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