
कोरोना संकट से बेशक हर कोई परेशान हो, लेकिन सरकार ने सेक्टरों में जमीन खरीद पर प्रशासनिक शुल्क 7 गुना तक बढ़ा दिया है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) ने 11 साल बाद इस रेट में बदलाव किया है। नए वर्ष से यह लागू हो गया है। पहले प्लाट मकान की खरीद पर इस शुल्क के दो ही रेट थे। इसमें 8 मरला तक के प्लॉट-मकान खरीदने पर 5 हजार, इससे अधिक पर 10 हजार शुल्क देना होता था। अब रिहायशी, कॉमर्शियल, अस्पताल और स्कूल आदि को अलग-अलग वर्ग में बांटकर नया शुल्क तय किया गया है।
6 जोन में बांटा
एचएसवीपी ने अपने क्षेत्रों को हाईपर, हाई-1, हाई-2, मीडियम, लो-1 और लो-2 जोन में बांटा है। पानीपत को हाई-2 जोन में रखा गया है। इसमें पंचकुला और सोनीपत है। पानीपत रिफाइनरी को मीडियम जोन में रखा है। मीडियम के लिए रेट मामूली कम है। मसलन- 2300 की जगह 2200 रु है।
2 व 3 मरला वाले को राहत
इसमें 2 और 3 मरला के प्लॉट की खरीद पर राहत दी है। 2 मरला का प्लॉट खरीदने पर 2300 रु. और 3 मरला पर 3300 रु. शुल्क लगेगा। इसके ऊपर सभी प्लॉट पर प्रशासनिक शुल्क बढ़ा दिया गया है।
सबसे अधिक भार कॉमर्शियल पर
अब तो सेक्टरों में कॉमर्शियल बूथ और महंगे होंगे। क्योंकि सबसे अधिक प्रशासनिक रेट कॉमर्शियल प्लॉट या बूथ का ही बढ़ाया गया है। 22.68 वर्ग गज का बूथ खरीदने पर 30 हजार प्रशासनिक शुल्क देना होगा। पहले 5000 रुपए देना पड़ता था।
रिहायशी प्लॉट्स प्रशासनिक शुल्क
1. 2 मरला तक 2300 रुपए
2. 3 मरला 3300 रुपए
3. 4 मरला 5500 रुपए
4. 6 मरला 7500 रुपए
5. 8 मरला 9500 रुपए
6. 10 मरला और ऊपर 13,000 रुपए
7. 14 मरला 18,000 रुपए
8. 1 कनाल (20 मरला) 35,000 रुपए
9. 1.5 कनाल 45,000 रुपए
10. 2 कनाल 70,000 रुपए
प्रॉपर्टी के रेट जमीन पर हैं, ये नया बोझ
यह जनता पर जबरदस्ती बोझ है, आज की तारीख में लोगों को सर्वाइव करना मुश्किल हो रहा है। इससे प्रॉपर्टी का रेट जमीन पर है। सरकार लालच छोड़कर पुराना रेट लागू करे। -तेजबीर सिंह, प्रॉपर्टी एडवाइजर
15 सेक्टर, 3 एचबीसी में 14436 प्लाॅट
सेक्टर-6, 7, 8, 11, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी (एचबीसी) सेक्टर-11, सेक्टर-12, एचबीसी सेक्टर-12, सेक्टर-13/17, सेक्टर-13/17 एचबीसी, सेक्टर-18 पार्ट-1 व 2, सेक्टर-24 पार्ट-1 व 2, सेक्टर-25 पार्ट-1 व 2, सेक्टर-29 पार्ट-1 व 2 और सेक्टर-40 में 14,436 प्लॉट्स हैं।
ऐसे समझिए
पहले किसी सेक्टर में अगर कोई 8 मरला (244.34 वर्ग गज) का कोई प्लॉट अपने नाम रजिस्ट्री या ट्रांसफर करवाता था तो उसके बदले में उसे 5000 रुपए प्रशासनिक शुल्क के रूप में एचएसवीपी को देना पड़ता था। नए नियम में इसे बढ़ाकर 9500 रुपए कर दिया गया है।
लंबे वक्त से प्रशासनिक शुल्क नहीं बढ़ा था, इस दौरान जमीन का रेट कहां से कहां पहुंच गया। यह एक प्रशासनिक फैसला है। -गुलशन सलूजा, एस्टेट ऑफिसर
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