त्योहारी सीजन में धर्म नगरी बेरी की छटा में बदली-बदली सी है। शांतिप्रिय तासीर वाले इस विधानसभा क्षेत्र में चुनावी चाैपालाें पर काेई अपने या दूसरे पार्टी प्रत्याशी के लिए तल्ख बहस में नहीं पड़ना चाहता। मतादाता अंदरूनी तौर पर मानता है कि विधायक जो भी बने बस भाईचारा जरूर बना रहना चाहिए। बेरी विधानसभा में खास बात यह है कि पहली बार जलेबी की चासनी तीन तार की बनती नजर आ रही है, यानी मिठास अभी कम है, बिखरी हुई चासनी अच्छी नहीं मानी जाती। जबकि लोकतंत्र के महोत्सव के मात्र छह दिन ही शेष हैं। -पढ़िए रत्न पंवार की रिपोर्ट...
बेरी विधानसभा में पहला मौका है जब मैदान में तीन कादयान आमने-सामने हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी रघुबीर सिंह कादयान और जननायक जनता पार्टी के प्रत्याशी उपेंद्र कादयान दूबलधन गांव से ताल्लुक रखते हैं तो भाजपा प्रत्याशी विक्रम कादयान बाघपुर गांव से हैं। कुल 49 गांवों वाली इस विधानसभा में कादयान गोत्र के बेरी में 12 गांव लगते हैं और कांग्रेस के मौजूदा विधायक रघुबीर कादयान वर्ष 2000 से चार बार लगातार विधायक बनते आ रहे हैं। कुल मिलाकर पांच बार विधायक बन चुके हैं। ऐसे में इनके सामने अब अपनी साख बचाने की चुनौती भी है।
वहीं भाजपा से विक्रम कादयान के पास सरकार के कामों और विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त है। यहां पर इस बार बगावत का भी असर देखने को मिल रहा है। कभी रघुबीर कादयान केे करीबी रहे अजय अहलावत इस बार बगावती सुर लेकर उन्हीं के खिलाफ एनसीपी से मैदान में उतरे हैं। वहीं, भाजपा से बागी हाेकर शिव कुमार रंगीला मैदान में हैं। इस सीट पर एकमात्र महिला उम्मीदवार डीघल गांव की शीला हैं। बसपा के रमेश दलाल, इनेलो से ओम पहलवान, आप से अश्वनी दुल्हेड़ा, जय महाभारत पार्टी से अनिल, समाजवादी पार्टी से नरसिंह कुकू, एसयूसीआई से रवि अहलावत और लाेसुपा से राहुल के अलावा पांच निर्दलीय समेत 17 उम्मीदवार मैदान में हैं।
गोच्छी गांव के जोतड़ा चौक पर हुक्के केे साथ बैठे ग्रामीणों के बीच चुनावी चर्चा में मेहर सिंह, रणबीर, हरप्रकाश, ओमप्रकाश ने कहा, स्थानीय मुद्दे आज भी ज्यों के त्यों बने हैं। बुजुर्गाें ने नौजवानों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये हट्टे-कट्टे छौरे यहां न्यूएं घूमै जा हैं, जबकि सारे फौज में जाण के हैं। काम-धंधा लागजैं तो इनका भी घर बस जै। बेटियों के लिए महिला कॉलेज की मांग काफी समय से चलती आ रही है, पर आज तक बेटियों को पढ़ाई के लिए बसों में ही धक्के खाने पड़ते हैं।
इस बार नए चेहरे मैदान में : बेरी के खेतों में हुक्का चौपाल पर बैठे हर पार्टी के लोगों की राय भी कुछ अलग ही है। यहां पर हुक्का गुड़गुड़ाते हुए रामचंद्र, अनिल, महावीर, सतीश, प्रवीन और विनय का कहना है कि सीधे तौर पर इस बार मुकाबला अनुभव और युवा जोश के बीच है।
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