जींद डिपो में पहले ही बसों का टोटा है और अब पिछले 20 दिन से वर्कशॉप में 30 बसें बगैर बीमा के खड़ी हैं। इसके लिए विभाग ने मुख्यालय के माध्यम से वित्त विभाग को 21 लाख रुपए से ज्यादा का बिल बनाकर भेजा है और मुख्यालय की तरफ से वित्त विभाग को सेंक्शन करने की मंजूरी मांगी है लेकिन अभी तक किसी प्रकार की कोई मंजूरी नहीं मिल सकी।
जींद डिपो में फिल रोजाना 50 से अधिक बसें चल रही हैं। कोरोना की वजह से सवारियों की संख्या जरूर कम हुई है। इससे बसों के फेरे भी कम हुए हैं। अगर सवारियों की संख्या ज्यादा होती है तो बसों की संख्या भी बढ़ानी पड़ेगी। इससे बस स्टैंड प्रशासन के पास अभी कुल 58 बसें शेष बची हैं। जिनको ऑनरूट किया जा सकता है और 30 बसें बगैर बीमा के वर्कशॉप में ही खड़ी है। विभाग के पास भी अभी तक कोई अतिरिक्त विकल्प नजर नहीं आ रहा। विभाग फिर से मुख्यालय को रिमांइडर करवाने की तैयारी में है।
ये हैं नियम : अगर किसी बस बीमा खत्म होता है तो मुख्यालय के पास संबंधित डिपो के महाप्रबंध बिल बनाकर मुख्यालय भेजता है और तुरंत इसकी स्वीकृति मिल जाती है। लेकिन अब कोरोना महामारी के चलते काफी दिन तक बीमा के लिए बसों को इंतजार करना पड़ रहा है।
जींद डिपो में सबसे ज्यादा कम हुई बसों की संख्या
पहली बार बसों की संख्या जींद डिपो में काफी कम हो गई हैं। पहले डिपो में 88 बस रह गई थी, लेकिन बीमा नहीं होने के कारण 30 बसों को भी वर्कशॉप में खड़ा कर दिया गया। अब बसों की संख्या घटकर 58 रह गई है।
बगैर बीमा के 30 बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं। इसके लिए विभाग ने मुख्यालय के माध्यम से वित्त विभाग को 21 लाख से ज्यादा का बिल बनाकर भेजा चुका है। जल्द ही इन बसों का बीमा करवाया जाएगा।
सुनील भाटिया, ट्रैफिक मैनेजर जींद डिपो।
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