कुरुक्षेत्र व 48 कोस में तीर्थाटन को बढ़ावा देने की प्लानिंग पर पिछले कई बरसों से काम चल रहा है। इसके तहत पौराणिक तीर्थों का जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण किया जाना है। वहीं केडीबी के अधीन तीर्थों की संख्या भी अब बढ़ने वाली है। आने वाले समय में केडीबी के अधीन 27 और तीर्थों को लाने की तैयारी है। इसे लेकर प्रारंभिक सर्वे भी हो चुका है।
केडीबी के अधीन तीर्थों का जीर्णोद्धार कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (केडीबी) ही करेगा। इन तीर्थों का मालिकाना हक केडीबी का नहीं होगा। वहीं लॉकडाउन के बाद रुके प्रोजेक्ट्स को अब तेजी से पूरा किया जाएगा। पहले चरण में 48 कोस के 130 में से 60 से ज्यादा तीर्थों पर विभिन्न प्रोजेक्ट्स शुरू हुए थे जिनमें से कुछ पर काम भी पूरा होने वाला है, लेकिन बीच में लॉकडाउन के कारण काम रुक गया। अब इन पर दोबारा से काम शुरू हो रहा है।
27 और तीर्थ होंगे सूची में शामिल : बता दें कि केडीबी का गठन ऐतिहासिक व पौराणिक तीर्थों के विकास के मकसद से सन् 1968 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. गुलजारीलाल नंदा ने कराया था। पहले सिर्फ ब्रह्मसरोवर व सन्निहित तीर्थ ही इसके तहत थे। धीरे-धीरे गीता उपदेश स्थली, भीष्मकुंड नरकातारी, बाणगंगा जैसे तीर्थ भी केडीबी के अधीन होते गए। अब 48 कोस जिसमें कुरुक्षेत्र के अलावा करनाल, जींद, कैथल के करीब 130 प्राचीन तीर्थ केडीबी के अधीन हैं। अब इस सूची में कुछ और प्राचीन तीर्थ स्थल जुड़ने वाले हैं। इसे लेकर सरकार की तरफ से सर्वे भी कराया जा रहा है। सर्वे टीम में केडीबी, टूरिज्म समेत अलग-अलग क्षेत्रों के लोग शामिल हैं।
टीम ने प्रारंभिक सर्वे के बाद 27 और तीर्थों को केडीबी के तहत लाने की सिफारिश की है। इस संबंध में राज्यपाल के पास फाइल भी गई है। राजभवन से इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। बता दें कि राज्यपाल ही केडीबी के चेयरमैन हैं। जबकि सीएम केडीबी के वाइस चेयरमैन हैं। केडीबी अधिकारियों का कहना है कि इन तीर्थों की संख्या कम ज्यादा हो सकती है। इसके बाद दोबारा से भी सर्वे होगा। इसमें तीर्थों का पुरातात्विक महत्व भी देखा जाएगा। उन्हीं तीर्थों को सर्वे में शामिल किया है, जिनका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है। कुछ के संबंध में प्राचीन मान्यताएं हैं।
पर नहीं होगा मालिकाना हक : केडीबी के अधीन तीर्थों की सूची 130 से बढ़कर जल्द ही 157 हो सकती है, लेकिन इनमें से अधिकांश का मालिकाना हक केडीबी का नहीं होगा। मौजूदा 130 प्राचीन तीर्थों में से भी अधिकांश पर केडीबी का मालिकाना हक नहीं है। ब्रह्मसरोवर व सन्निहित जैसे तीर्थों पर ही केडीबी का मालिकाना हक है। बाकी तीर्थों पर महंत, पुजारी या पंचायत अथवा स्थानीय प्रबंधन समिति ही मालिकाना हक रखती हैं। केडीबी सिर्फ इन तीर्थों पर जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण और डिवेलपमेंट कराती है।
सभी पर होगा काम, अभी 60 का डिवेलपमेंट : बता दें कि 48 कोस के तीर्थों पर पिछले तीन सालों से जीर्णोद्धार को लेकर प्लानिंग चल रही है। करीब 24 तीर्थों पर सीएम मनोहरलाल ने जीर्णोद्धार की घोषणा की थी।
इसके बाद 130 में से 60 से ज्यादा तीर्थों के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली। इन पर काम पूरा होने के बाद धीरे-धीरे 130 तीर्थों पर काम होगा। 60 तीर्थों में से पांच पर श्रीकृष्णा सर्किट फेज वन के तहत भी काम चल रहे हैं। सर्किट फेज वन में साढ़े 97 करोड़ रुपए का बजट मिला। वहीं बाकी तीर्थों पर जीर्णोद्धार के लिए करीब 84 करोड़ रुपए विभिन्न चरणों में केडीबी को राज्य सरकार की तरफ से दिया गया।
करनाल, जींद के 24 व कैथल के 9 तीर्थां पर भी चल रहा काम
केडीबी मानद सचिव मदनमोहन छाबड़ा का कहना है कि करीब 60 तीर्थों पर अब लॉकडाउन के बाद तेजी से प्रोजेक्ट्स पूरे होंगे। इसके अलावा सरकार 27 से ज्यादा और तीर्थों को भी केडीबी के अधीन लाकर विकास कराएगी। अभी कुरुक्षेत्र व आसपास के अलावा करनाल व जींद के 24 से ज्यादा तीर्थों और कैथल के नौ तीर्थों पर काम चल रहा है। इन पर करीब 84 करोड़ रुपए केडीबी की तरफ से खर्चे होंगे। वहीं श्रीकृष्णा सर्किट के तहत अलग से काम चल रहा है।
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