श्रीबालाजी मंदिर के महंत अवध बिहारी पांडे ने बताया कि करवा चौथ 4 नवंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट से लेकर 5 नवंबर सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर समाप्त हो रहा है। उन्होंने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय की रात्रि को जिसमें चंद्रमा दिखाई देने वाला है, उस दिन सुबह स्नान करके अपने सुहाग की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहें।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करक चतुर्थी व्रत करने का विधान है। केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, इस व्रत को कर सकती है।करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें। करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें अथवा सुनें।
सायंकाल चंद्रमा के उदित हो जाने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य प्रदान करें। इसके पश्चात ब्राह्मण, सुहागिन स्त्रियों व पति के माता-पिता को भोजन कराएं। भोजन के पश्चात ब्राह्मणों को यथाशक्ति दक्षिणा दें। पति की माता अर्थात अपनी सास को उपरोक्त रूप से अर्पित एक लोटा, वस्त्र व विशेष करवा भेंटकर आशीर्वाद लें। यदि वे जीवित न हों तो उनके तुल्य किसी अन्य स्त्री को भेंट करें। इसके पश्चात स्वयं व परिवार के अन्य सदस्य भोजन करें।
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