
रवि हसिजा | कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की ओर से अल्पसंख्यक युवाओं को दी जाने वाली स्किल ट्रेनिंग अब विश्वविद्यालयों के माध्यम से दी जाएगी। पहले सीधे एनजीओ से आवेदन लिए जाते थे और ट्रेनिंग करवाई जाती थी, लेकिन अब संबंधित राज्यों के चुनिंदा विश्वविद्यालयों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। हरियाणा में केवल चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद और श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी गुरुग्राम को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय को 1900 युवाओं को ट्रेनिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके तहत लगभग 8 करोड़ से अधिक की राशि जारी की गई है। चौधरी रणबीर सिंह विवि द्वारा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) और कामन नाॅर्म्स से जुड़े पाठ्यक्रमों के लिए सीखो और कमाओ योजना के तहत अल्पसंख्यक युवाओं को स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग करवाई जाएगी। इसके लिए चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय ने विभिन्न एनजीओ से ट्रेनिंग देने के लिए आवेदन मांगे हैं। इस योजना का उद्देश्य विभिन्न आधुनिक/पारंपरिक व्यवसायों में अल्पसंख्यक युवाओं के कौशल को उनकी शैक्षिक योग्यता, वर्तमान आर्थिक रुझानों और बाजार की संभावनाओं के आधार पर ट्रेंड किया जाएगा, ताकि उन्हें एक उपयुक्त रोजगार मिल सके या उन्हें स्वरोजगार के लिए कुशल बनाया जा सके। इसके लिए संबंधित एनजीओ को 27 नवंबर तक विवि के पास आवेदन करना होगा।
इन पर लागू होगी योजना : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 (मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन) के तहत छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के लाभ के लिए योजना को लागू किया जाएगा। जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा अधिसूचित कुछ अन्य अल्पसंख्यक समुदाय मौजूद हैं, उन्हें भी कार्यक्रम के लिए विचार किया जा सकता है, लेकिन उन्हें कुल सीटों के 5 प्रतिशत से अधिक पर दाखिल नहीं किया जाएगा।
इन ट्रेड के लिए करना होगा आवेदन
- हेल्थ केयर डायलिसिस टेक्नीशियन
- हेल्थ केयर मेडिकल लैब टेक्नीशियन
- हेल्थ केयर डेंटल, असिस्टेंट
- ऑटोमोटिव रिपेयर पेंटर, ऑटो बॉडी व अन्य।
प्रदेश के दो विश्वविद्यालयों को मिली जिम्मेदारी : डॉ. पूनिया
"राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के तहत पहले एनजीओ के माध्यम से स्किल ट्रेनिंग दी जाती थी, लेकिन अब इसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों को दी है। प्रदेश की दो यूनिवर्सिटी को यह जिम्मेदारी मिली है, जिसमें से एक सीआरएसयू है। इसके लिए 8 करोड़ से अधिक का बजट भी जारी किया गया है, जो देश में सबसे ज्यादा मिला है। ट्रेनिंग के लिए एनजीओ से आवेदन मांगे गए हैं।"
-डॉ. राजेश पूनिया, रजिस्ट्रार, सीआरएसयू, जींद।
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