
जनवरी की पहली बारिश व कड़ाके की ठंड में शनिवार को किसानों का आंदोलन रहा। बारिश व ठंड भी बुजुर्ग किसानों का हौसला नही तोड़ पाई। किसानों ने सुबह बारिश से बचने के लिए अपनी ट्राॅलियों को ही तिरपाल से ढक लिया। बारिश बंद होने के बाद लकड़ी से आग जलाई और सर्दी भगाने का प्रयास किया। किसानों का कहना है कि उनके रास्ते में ठंडी रात हो या ठंडा पानी कोई रुकावट नहीं बन सकता। उनका हौसला व जूनून अटूट हैं। वे हर हाल में यहां से फतेह करके ही लौटेंगे। गुरदीप सिंह सिद्ध ने कहा कि जैसे-जैसे सर्दी बढ़ रही है, यहां किसानों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। हरियाणा व पंजाब से काफी संख्या में किसान अपने परिवार समेत यहां पहुंच रहे हैं।
सरदार गुरिंद्र सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब गुरुओं की भूमि हैं। हम इतिहास बनाते हैं। हमारे गुरुओं ने भी इतिहास बनाए हैं। जब मुगलों से नही डरे तो यह मोदी, अडानी या अंबानी कौनसी बड़ी चीज हैं। सर्दी बढ़ने की वजह से बुजु्र्गों के लिए दूध व युवाओं के लिए बादाम का शेक दिया जा रहा है। यहां मेडिकल कैंप भी पहले से ज्यादा बढ़ा दिए हैं। आंदोलन में बच्चों की संख्या में हजारों में है। ऐसे में गर्म पानी की व्यवस्था की गई है। पंजाब से संत भी काफी संख्या में आए डेरा डाले हुए हैं।
संत परगट सिंह ने कहा कि वे किसानों को अहिंसा की शिक्षा दे रहे हैं। किसान यहां तलवार से नही बात से जंग जीतने आए हैं। किसान की बात ही कटार का काम कर रही है। इतिहास में यह भी दर्ज हो जाएगा तो जंग केवल तलवार से ही नहीं जीती जाती। हमारा संगठन शांतिपूर्ण तरीके से अपने मिशन की और आगे बढ़ रहा है। पंजाब के किसान अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए भले ही धरने पर बैठे हों, लेकिन वे धर्म का भी बेखूबी पालन कर रहे हैं। सुबह शाम गुरबाणी का पाठ हो रहा है। हरियाणा के किसान रागिणी से अपना मनोरंजन कर रहे हैं।
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